नई दिल्ली, 7 फरवरी (हि.स.)। सरकार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की प्रमुख नेटवर्क परियोजना ‘जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार’ (एनआईसीआरए) के माध्यम से देशभर में फैले 151 जलवायु रूप से संवेदनशील जिलों में जलवायु अनुकूल कृषि प्रौद्योगिकियों को विकसित और बढ़ावा देती है। जो जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर सूखा, बाढ़, पाला, हीटवेव आदि जैसी चरम मौसम स्थितियों से ग्रस्त हैं। यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने दी।
इसके अनुसार जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियां जैसे जलवायु अनुकूल किस्में, अंतर-फसल प्रणाली, संरक्षण कृषि, फसल विविधीकरण, कृषि वानिकी प्रणाली, जीरो-टिल बुवाई, हरी खाद, एकीकृत कृषि प्रणाली, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन, जैविक खेती, साइट विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन, इन-सीटू नमी संरक्षण, सुरक्षात्मक सिंचाई और सूक्ष्म सिंचाई विधियां आदि विकसित की गई हैं। इन्हें किसानों की भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से बड़ी संख्या में प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा इन प्रौद्योगिकियों को 23 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों के लिए प्रलेखित किया गया है और राज्यों में चल रही योजनाओं के साथ आगे के उन्नयन और अभिसरण के लिए राज्य विभागों के साथ साझा किया गया है।
परिशुद्ध कृषि को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर के पास परिशुद्ध कृषि पर एक नेटवर्क कार्यक्रम (आईसीएआर-एनईपीपीए) है, जो इनपुट के सटीक उपयोग के माध्यम से त्वरित लाभदायक और टिकाऊ प्रणाली के लिए आईसीटी आधारित प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए 16 स्थानों पर काम कर रहा है। जलवायु परिवर्तन अथवा मौसम संबंधी विचलन को अपनाने से संबंधित परियोजना के कुछ परिणाम इस प्रकार हैं, जिनमें सेंसर-आधारित मिट्टी और फसल स्वास्थ्य निगरानी और रोबोटिक्स, आईओटी डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके इनपुट (पानी और उर्वरक) का सटीक प्रबंधन, वास्तविक समय प्रबंधन के लिए मूल्य वर्धित सलाह के लिए विशेष रूप से चावल और कपास की फसलों के लिए कीट और रोग निगरानी के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां।
आईसीएआर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैकल्पिक कुशल फसल प्रणालियों, एकीकृत कृषि प्रणालियों, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को विकसित करने के लिए 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एकीकृत कृषि प्रणालियों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम (एआईसीआरपी-आईएफएस) और 16 राज्यों में जैविक खेती पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम (एआईएनपी-ओएफ) संचालित करता है। अब तक 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 8 एकीकृत जैविक कृषि प्रणाली मॉडल और 16 राज्यों के लिए उपयुक्त 80 फसल प्रणालियों के लिए जैविक खेती पैकेज सहित एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) के कुल 76 मॉडल विकसित किए गए हैं।
किसानों को चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ लचीला बनाने और देश में दीर्घकालिक कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) को लागू करती है। भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए एनएमएसए के माध्यम से राज्यों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। इसके अलावा सरकार ने खरीफ 2016 से किसानों को चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ लचीलापन बनाने में मदद करने के लिए पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के साथ-साथ प्रमुख उपज आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। एनआईसीआरए के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक के माध्यम से प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से 6,93,629 किसानों को लाभ हुआ और जलवायु लचीली कृषि पर 23,613 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से 6,47,735 किसानों को लाभ हुआ।