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प्रधानमंत्री मोदी की वजह से पैरा एथलीटों का सम्मान बढ़ा है : सुभाष राणा

नई दिल्ली, 7 जनवरी (हि.स.)। 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन इस बार उत्तराखंड कर रहा है। उत्तराखंड में इन खेलों के आयोजन से स्थानीय खिलाड़ियों और कोचों में काफी उत्साह है। इन खेलों के आयोजन से स्थानीय खिलाड़ियों को मिलने वाले लाभ और सुविधाओं को लेकर द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित पैरा शूटिंग कोच सुभाष राणा ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में खुलकर अपने विचार रखे।

हिन्दुस्थान समाचार को दिये साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलना बहुत बढियां हैं, पहले हम सोचते थे कि यहां आधारभूत सुविधाओं के उपलब्ध होने में हमें 15 से 20 साल लगेंगे, लेकिन अब इस आयोजन के दौरान खेलों के लिए इतना बड़ा आधारभूत ढांचा उत्तराखंड में तैयार हो जाएगा,इसकी उम्मीद नहीं थी, इन खेलों के आयोजन से स्थिति बदलेगी और अन्य प्रदेशों के खिलाड़ी भी यहां आने लगेंगे, सबसे बड़ी बात यह है कि खिलाड़ियों का पलायन रूक जाएगा। हम पहले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए लेकर बाहर जाते थे, लेकिन अब आधारभूत ढांचा तैयार हो जाएगा और हमें खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए बाहर ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पैरा एथलीटों के हालात में हुए सुधार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री जी का खिलाड़ियों को लेकर काफी उत्साह रहता है। 2014 से पहले पैरा एथलीटों की उतनी पूछ नहीं थी, लेकिन उसके बाद पैरा एथलीटों को लेकर लोगों में उत्साह भी बढ़ा है। पहले और अब में काफी अंतर है, पहले इतनी सुविधाएं भी नहीं थी। 2014 के बाद से सुविधाएं भी बढ़ी हैं और प्रधानमंत्री जी की वजह से सम्मान भी बढ़ा है, उन्होंने पैरा खेलों को लेकर जो रूचि दिखाई है, उसका काफी फायदा हुआ है। सामान्य एथलीट और पैरा एथलीटों को उन्होंने बराबरी पर ला दिया, जिससे पैरा एथलीटों के लिए नौकरी के भी मौके खुलने लगे, और जिस तरह से वे बड़े टूर्नामेंटों में जाने से पहले मिलते हैं और पदक जीतने के बाद ही फोन पर बात भी करते हैं, उससे प्रेरणा और आगे बढ़ने की ऊर्जा भी मिलती है।”

उत्तराखंड के युवा निशानेबाजों के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा, “देखिये हम जिस चीज में पिछड़ रहे थे, जैसे टॉप क्लास मशीन नहीं थी, आधारभूत सुविधाएं नहीं थीं, हमें ट्रेनिंग के लिए कभी भोपाल, कभी दिल्ली जाना पड़ता था, लेकिन अब जिस तरह से सरकार काम कर रही है और उम्मीद है कि आगे भी करती रहेगी, तो अब हम भविष्य में उत्तराखंड से कई बड़े खिलाड़ी और ओलंपियन तैयार कर सकते हैं और हमारी योजनाएं भी यहीं हैं। मेहनत करने में कोई कमी नहीं है, बच्चे लगे रहते हैं, लेकिन थोड़ा-थोड़ा सभी का साथ मिले तो काम हो जाएगा।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारतीय निशानेबाज पेरिस पैरालंपिक की सफलता 2028 में दोहरा पाएंगे, उन्होंने कहा कि हम 2028 पैरालंपिक में पेरिस के रिकॉर्ड को भी तोड़ेंगे और पदकों की संख्या भी बढ़ेगी।

द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित कोच सुभाष राणा के खाते में चार अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण और दो रजत पदक शामिल हैं। उन्होंने साल 1994 में इटली और साल 1998 में स्पेन में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया था। एक कोच के तौर पर उनकी उपलब्धियों की चर्चा करें, तो टोक्यो पैरालंपिक 2020 में शामिल हुई शूटिंग टीम को उन्होंने प्रशिक्षित किया था। इस टीम ने पैरालंपिक में पांच मेडल जीते थे। भारतीय पैरा शूटिंग टीम के वह लंबे समय तक प्रशिक्षक रहे हैं।

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