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कैथल:किसान-मजदूरों काे एकता से खड़े करने हाेंगे आंदोलन: नीलोत्पल बसु

नीतियों में वैकल्पिक बदलाव के लिए आंदोलन खड़ा करने के आह्वान के साथ सीपीआई (एम) का राज्य सम्मेलन सम्पन्न

कामरेड प्रेम चंद बने राज्य सचिव

कैथल, 13 जनवरी (हि.स.)।‌‌भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का तीन दिवसीय 17वा राज्य सम्मेलन स्थानीय अग्रवाल धर्मशाला में संपन्न हुआ। सम्मेलन का समापन पोलित ब्यूरो सदस्य व पूर्व सांसद नीलोत्पल बसु ने किया। उन्होंने कहा कि पार्टी जनता के हितों के लिए लगातार संघर्ष में रही है। आगामी दिनों में वैकल्पिक नीतियों के बदलाव के लिए जमीनी स्तर पर किसान मजदूरों के बीच व्यापक एकता कायम करते हुए ग्रामीण व शहरी गरीबों के आंदोलन खड़े करने होंगे। आज पूंजीवाद संकट में है व अपने संकट को टालने के लिए गरीब देशों ओर आबादियों पर इस संकट का बोझ डाल रहे हैं।

दुनिया व देश में दक्षिणपंथी ताकतों के साथ बड़े कॉर्पोरेट खड़े हैं। हमें आर्थिक नीतियों के साथ सांप्रदायिक ता के खिलाफ निरंतर संघर्ष करना है। भाजपा आरएसएस इस देश की बुनियाद और संविधान पर लगातार हमलावर है। इसे लेकर विशेष अभियान चलाते हुए जनता में जनमत तैयार किया जाएगा। सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने कृषि विपणन फ्रेमवर्क की प्रतियां भी जलाई।

सम्मेलन में 30 सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव किया गया। जिसमें कामरेड प्रेम चंद को सचिव चुना गया। सुरेंद्र सिंह, इंद्रजीत सिंह, जय भगवान, जगतार सिंह, रमेश चंद्र, सविता, ओम प्रकाश, दिनेश सिवाच को सचिव मंडल सदस्य के रूप में चुना गया। राज्य सम्मेलन ने अप्रैल में होने वाली पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधियों का भी चुनाव किया। सम्मेलन ने फैसला किया कि बिजली निजीकरण, नई शिक्षा नीति, लेबर कोड्स, बढ़ती महंगाई के विरोध में, न्यूनतम वेतन ओर किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी आदि मांगो को लेकर 24 जनवरी से 31 जनवरी के बीच अभियान चलाते हुए प्रदर्शनों की कार्रवाई की जाएगी। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस से लेकर 23 मार्च, शहीदी दिवस तक संविधान बचाओ अभियान के तहत, प्रदेश भर में सेमिनार, गोष्ठियां की जाएंगी और अभियान चलाया जाएगा।

साम्प्रदायिक व जातिवादी हमलों के विरोध सहित नौ प्रस्ताव पारित

सम्मेलन में नौ प्रस्ताव पारित किए गए। जिनमें साम्प्रदायिक व जातिवादी हमलों के विरोध में, नशाखोरी और अपराध के खिलाफ, श्रमिकों के न्यूनतम वेतन रिवाइज करने व कर्मचारियों के वेतन संशोधन के लिए, स्थायी भर्ती तथा ठेका/अस्थाईकर्मियों को स्थाई करने, किसान आंदोलन के समर्थन में तथा कृषि विपणन फ्रेमवर्क के विरोध में, प्रवासी मजदूरों के हित बारे, मूलगामी चुनाव सुधारों के पक्ष में तथा एक देश एक चुनाव के विरोध में, महिलाओं और बच्चों पर हिंसा और अत्याचार के विरोध में, बिजली के निजीकरण व स्मार्ट मीटर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए।

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