महाकुम्भ नगर, 7 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज के कुम्भ में अध्यात्म और मोक्ष की खोज में तीन धाराओं के संगम पर साधु-संत सन्यासी के साथ गृहस्थ आश्रम के लोग तो आते ही हैं पर इसमें एक बड़ा तबका उन लोगों का भी होता है, जो इस सांसारिक जीवन से निकल कर सन्यास जीवन में प्रवेश करते हैं। कुम्भ का श्रृंगार कहे जाने वाले 13 अखाड़े सनातन की शक्ति है। इस बार कुम्भ में बड़ी संख्या में अखाड़ों में नव प्रवेशी साधुओं को दीक्षा प्रदान की गई। इसमें भी नारी शक्ति की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। महाकुम्भ में मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में गहरी रुचि दिखाई है। इसके परिणाम स्वरूप प्रयागराज महाकुम्भ सबसे अधिक महिला संन्यासियों की दीक्षा का इतिहास रच चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रयागराज महाकुम्भ में दो हजार से अधिक महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ली।
नारी सशक्तीकरण का साक्षी बन रहा है महाकुंभ : इस बार महाकुम्भ में अकेले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्गत सबसे अधिक महिलाओं की संन्यास दीक्षा दी गई। सभी अखाड़ों को अगर शामिल कर लिया जाय तो यह संख्या 2300 का आंकड़ा छू गई है।
महिला संन्यासियों की खास पहचान : संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की मंहत दिव्या गिरी बताती हैं, नागा साधुओं के अखाड़ों में महिला संन्यासियों की एक खास पहचान होती है और ये महिला साधु पुरूष नागाओं की तरह नग्न रहने के बजाए एक गेरूआ वस्त्र लपेटकर जीवन यापन करती हैं। महिला नागा संन्यासियों को बिना वस्त्रों के शाही स्नान करना वर्जित रहता है। परंपरा के अनुसार, किसी भी पुरूष या महिला को नागा संन्यासी बनने से पहले उसे साधु का जीवन व्यतीत करना पड़ता है। अखाड़े के साधु-महात्मा महिला के घर और उसके पिछले जीवन के बारे में जांच पड़ताल करते हैं और इन सबके बाद गुरू के इस बात से संतुष्ट होने पर कि अमुक महिला ब्रह्मचर्य का पालन कर सकती है तभी उसे दीक्षा दी जाती है।
पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न होती है प्रक्रिया : महंत दिव्या गिरी बताती हैं कि, संन्यास लेने वाली संन्यासिनियों को उनके इच्छा के अनुसार अखाड़ा चुनना होता है और उसी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर उन्हें दीक्षा देते हैं। उन्होंने बताया, पूर्व में संन्यास धारण किये महिलाओं सन्यासियों का पूरे विधि-विधान से अखाड़ों की परंपरा के अनुसार मुंडन कराया गया। इसके बाद उन्हें गोमूत्र, दही, भस्म, गोबर, चंदन और हल्दी दशविधि से स्नान कराया गया। उसके बाद इन सभी लोगों को गंगा में स्नान कराया गया। इस प्रक्रिया के बाद इन नागा संन्यासिनियों के साथ विजया हवन संस्कार हुआ।
गंगा में 108 बार डुबकी : महंत दिव्या गिरी बताती हैं कि संन्यासी बनने से पहले यह साधु बनती हैं। इन्हें पंच दीक्षा दी जाती है। पांच महिला गुरु होती हैं। इसमें एक गुरु रुद्राक्ष, दूसरा कपड़ा, तीसरा विभूति, चौथा चोटी काटेगा और पांचवा लंगोटी देती हैं। इस प्रक्रिया के तीन वर्ष के बाद ही इन सबको संन्यासी बनाया जाता है। 24 घंटे तक इन्हें कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। परंपरा अनुसार रात्रि में गंगा में 108 बार डुबकी लगाने के बाद अन्य परंपराएं आगे बढ़ती हैं।
जूना अखाड़े ने मातृ शक्ति को दी नई पहचान : अखाड़े में नारी शक्ति को पहचान दिलाने में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा अग्रणी है। महाकुम्भ के पहले जूना अखाड़े की संतो के संगठन माई बाड़ा को नया सम्मानित नाम दिया गया संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना। आधी आबादी के इस प्रस्ताव पर अब मुहर लगा दी गई है। महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं कि महिला संतों ने संरक्षक महंत हरि गिरि से इसकी मांग की गई थी। उन्होंने महिला संतों से ही नए नाम का प्रस्ताव देने के लिए कहा था। महंत हरि गिरि ने इसे स्वीकार कर लिया है। इस बार मेला क्षेत्र में इनका शिविर दशनाम संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के नाम से ही लगाया गया है।
उच्च शिक्षिति महिलाओं ने चुनी संन्यास की राह : सनातन धर्म में वैराग्य या संन्यास के कई कारण बताए गए हैं जिनकी वजह से गृहस्थ या आम इंसान वैराग्य में प्रवेश करता है। परिवार में कोई दुर्घटना, या आकस्मिक सांसारिकता से मोह भंग या फिर अध्यात्म अनुभूति इसके कारण हो सकते हैं। महंत दिव्या गिरी बताती हैं कि, इस बार जिन महिलाओं ने दीक्षा संस्कार लिया है, उसमें हाई क्वालिफाइड नारियों की संख्या अधिक है जो आध्यात्मिक अनुभूति के लिए संस्कार दीक्षित हो संन्यासी बनी हैं।
महाकुम्भ में 8500 ने चुनी संन्यास की राह : महाकुम्भ में 28 जनवरी तक कुल 8495 नागा संन्यासी बनाए जा चुके हैं। इसमें जूना अखाड़ा में 4500 संन्यासी, 2150 संन्यासिनी, महानिर्वाणी में 250, निरंजनी में 1100 संन्यासी और 150 संन्यासिनी शामिल हैं। इसके अलावा अटल में 85 संन्यासी, आवाहन में 150, और बड़ा उदासीन में 110 संन्यासी बनाए गए हैं। संन्यास लेने वालों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार की महिलाएं और पुरुष शामिल हैं।