माइनिंग सेक्टर के महत्व को रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका की हालिया नीति के चलते आसानी से समझा जा सकता है। अमेरिका की यूक्रेन की खनिज संपदा पर नजर है और वह चाहता है कि यूक्रेन को सहयोग करने के बदले में यूक्रेन की खनिज संपदा के दोहन का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार अमेरिका को मिल जाए। यही हालत दुनिया के दूसरे देशों की है। आज चीन की मनमानी से सभी देश गले तक भर आये हैं, वहीं दुनिया के देश खनिज संपदा भण्डारों की खोज व खनन के विकल्प ढूंढ़ने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले एक दशक में मिनरल एक्सप्लोरेशन के कार्य में तेजी आई है।
हमारे देश में सतत खनन विकास पर जोर दिया जाने लगा है। 2016-17 से मेजर हो या माइनर मिनरल सभी माइंस की नीलामी को अनिवार्य कर दिया गया है। बदली परिस्थितियों में सरकारों की इच्छाशक्ति पर बहुत कुछ निर्भर करता है। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान सरकार और राजस्थान का खान एवं भूविज्ञान विभाग है। अवैध खनन गतिविधियों के लिए कुख्यात माइनिंग सेक्टर को राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार ने नई पहचान देने का कारगर प्रयास करके दिखाया है। केवल एक साल की समयावधि में माइनिंग सेक्टर में राजस्थान समूचे देश में लंबी छलांग लगा रहा है। दिसंबर, 24 में सरकार ने कार्यभार संभालते ही माइनिंग सेक्टर में दो दिशाओं में तेजी से कदम बढ़ाये। पहला, अवैध खनन पर कारगर ढंग से अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया तो दूसरी और सरकार ने साफ संदेश दिया कि खनिज बहुल क्षेत्रों की एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए डेलिनियेशन और प्लॉट व ब्लॉक तैयार करने के कार्य को प्राथमिकता दी जाए और विभाग इन तैयार प्लॉटों व ब्लॉकों की नीलामी का रोडमैप बनाकर पारदर्शी ऑक्शन प्रक्रिया को अमलीजामा पहुंचायें।
सरकार की मंशा के अनुसार विभागीय अमला जुट गया और नई सरकार बनने के तीन माह में ही 15 मेजर मिनरल ब्लॉकों का भारत सरकार के पोर्टल पर ई-नीलामी की गई तो एक साल से कुछ ही अधिक समय में नई सरकार बनने के बाद इस साल जनवरी तक 15 ब्लॉकों सहित कुल 48 मेजर मिनरल ब्लॉकों की सफल नीलामी कर रिकॉर्ड बना दिया। राज्य सरकार की उपलब्धि को केन्द्र सरकार ने भी सराहा और इसी वर्ष 20 जनवरी को ओडिशा के कोणार्क में आयोजित नेशनल मांइस मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस में वर्ष 2023-24 में देश में सर्वाधिक मेजर मिनरल ब्लॉक के ऑक्शन पर राजस्थान को प्रथम पुरस्कार देकर राज्य के प्रमुख सचिव माइंस टी. रविकान्त को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। जिस तरह के आंकड़े भारत सरकार के पोर्टल पर प्रदर्शित हो रहे हैं उससे साफ है कि वर्ष 2024-25 में भी राजस्थान मेजर मिनरल ब्लॉकों की ई-नीलामी में समूचे देश में शीर्ष पर रहेगा।
देश-दुनिया में माइनिंग सेक्टर की जो इमेज रही है उसे देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खान विभाग की जिम्मेदारी अपने पास रखी और पिछले एक साल में माइनिंग सेक्टर ने खनिज की खोज से लेकर माइनर एवं मेजर मिनरल ब्लॉकों के ऑक्शन, एमनेस्टी योजना, ड्रोन सर्वे, एकबारीय समाधान योजना, नई और प्रगतिशील खनिज नीति, एम-सेण्ड नीति, माइनिंग सेक्टर में औद्योगिक निवेश और रोजगार के विपुल अवसर सृजित करने के अवसर विकसित कर दिए हैं। 2017 में केन्द्र सरकार ने तय किया कि देश में सभी जगह माइनिंग मिनरल्स खुले ऑक्शन के माध्यम से ही दिए जाएंगे। इससे बहुत हद तक माइनिंग मिनरल्स की बंदरबांट पर रोक लगी। केन्द्र सरकार ने मेजर मिनरल्स के ऑक्शन की स्वयं के स्तर पर भी मॉनिटरिंग आरंभ कर व्यवस्था को पारदर्शी और खनिज प्रधान प्रमुख राज्यों के बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा की राह प्रशस्त की है। इसे देश के खनिज क्षेत्र का अग्रणी कदम माना जा सकता है।
राजस्थान खनिज की दृष्टि से समृद्ध प्रदेश है। राज्य में उपलब्ध 82 प्रकार के खनिजों में से राज्य में 57 खनिजों का व्यावसायिक स्तर पर खनन किया जा रहा है, जिससे वर्तमान में लगभग 35 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हो रहा है। राज्य सरकार ने एक बात साफ समझी है कि बेशकीमती खनिजों के अवैध खनन पर अंकुश लगाने का सबसे कारगर तरीका खनिज क्षेत्रों के ब्लॉक या प्लॉट तैयार कर इन्हें पारदर्शी से तरीके से ई पोर्टल के माध्यम से नीलाम किया जाए। इससे अवैध खनन के एक कारण पर तो रोक लग ही सकती है क्योंकि खानधारक अपने क्षेत्र में दूसरे को अवैध खनन गतिविधि नहीं चलाने देगा। इससे बहुत हद तक बेशकीमती खनिजों के अवैध खनन को रोका जा सकता है। वैध खननधारक की अवैध खनन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ड्रोन से एसेसमेंट अनिवार्य करने जा रही है। इसी तरह के अन्य सुधारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान ही नहीं देश के खनिज प्रधान अन्य राज्यों की सरकारों को भी सख्त कदम उठाने होंगे ताकि देश की खनिज संपदा के अवैध खनन से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। इसके साथ ही वैध खनन और सस्टेनेबल माइनिंग पर जोर देकर खनिज संपदा का बेहतर दोहन हो सके।