महाकुम्भनगर, 23 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज के महाकुम्भ में पहली बार 29 प्रान्तों के 550 विभिन्न जनजातीय समूह के 15 हजार जनजातीय लोग 07 फरवरी को संगम में डुबकी लगाएंगे। जिसमें जनजातीय समाज के 07 हजार युवा, 04 हजार लोक कलाकार, तीन सौ जनजातीय परम्परा के पुजारी, साधु-संत एवं 150 लोक-कलाकारों की टोली तथा उस समाज के अन्य लोग शामिल होंगे। यह जानकारी वनवासी कल्याण आश्रम के प्रान्त संगठन मंत्री आनन्द कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार को विशेष वार्ता में बतायी।
उन्होंने बताया कि महाकुम्भ में जनजातीय समाज के लिए 05 फरवरी से 10 फरवरी के बीच विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। 06 फरवरी को जनजातीय युवा कुम्भ प्रभु प्रेमी संघ शिविर में होगा। जिसमें देश भर से जनजातीय समाज के 7000 युवा हिस्सा लेंगे। इसके अलावा 7, 8 व 9 फरवरी को जनजातीय सांस्कृतिक कुम्भ का आयोजन महाकुम्भ क्षेत्र में विभिन्न स्थलों पर होगा। इसके अलावा 10 फरवरी को सेक्टर-18 स्थित संत समागम शिविर में जनजातीय संत, महात्मा एवं पुजारियों का समागम होगा।
उन्होंने बताया कि जनजातीय समाज से जुड़ी एक वृहद प्रदर्शनी का आयोजन भी कुम्भ क्षेत्र के सेक्टर-9 स्थित वनवासी कल्याण आश्रम परिसर में होगा। बताया कि जनजातीय सांस्कृतिक समागम में देश भर के 150 सांस्कृतिक नृत्य दल भाग लेने वाले हैं। रंगारंग नृत्यकला से युक्त यह समागम कुम्भ मेला परिसर में सभी के आकर्षण का केंद्र बनेगा। लगभग 15 हजार जनजातीय बंधु इस कुम्भ में भाग लेकर एकात्मता की अनुभूति प्राप्त करेंगें। साथ ही ‘तू-मैं एक रक्त’ इस मूल मन्त्र को साकार करेंगे। उन्होंने कहा कि 2025 का प्रयागराज महाकुम्भ राष्ट्रीय भावनात्मक एकता और सार्वभौमिकता का अद्भुत प्रतीक बनेगा।
उन्होंने बताया कि भारत की लगभग 12 करोड़ आबादी अनुसूचित जनजाति समाज की है, जो लगभग 700 विभिन्न जनजातीय समूह में विभाजित है। उन्होंने बताया कि सनातन परम्परा को मानने वाले इन जनजातियों में अधिकाश प्रकृति-पूजक हैं जो प्रकृति में व्याप्त परमेश्वर की पूजा करते हैं। वैविध्यपूर्ण इन जनजातियों की श्रेष्ठ सास्कृतिक विरास्त है, जिसे अनेकानेक आघातों को सहते हुए भी उन्होंने अक्षुण्ण और जीवंत रखा है।