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294 सीटों पर असर डालने वाला बजट : ममता सरकार ने गांवों के लिए किया सबसे बड़ा आवंटन, चुनावी गणित पर फोकस

कोलकाता, 13 फरवरी (हि. स.)। पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को पूर्ण बजट पेश किया है। ममता बनर्जी सरकार ने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण इलाकों को साधने के लिए बजट में बड़ा दांव खेला है। राज्य की वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बुधवार को विधानसभा में बजट पेश किया, जिसमें सबसे अधिक राशि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के लिए आवंटित की गई। इस विभाग को 44 हजार 139 करोड़ 65 लाख रुपये मिले हैं, जो किसी भी अन्य विभाग से अधिक है। इसी के साथ, यह स्पष्ट हो गया कि तृणमूल कांग्रेस ने ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने की पूरी तैयारी कर ली है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों में से करीब 170 से 180 सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं, जो हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार के बजट में गांवों को बड़ी सौगात मिलेगी। बजट पेश करते हुए चंद्रिमा भट्टाचार्य ने ‘पथश्री’ और ‘बांग्लार बाड़ी” जैसी ग्रामीण परियोजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करने की घोषणा की। ‘पथश्री’ परियोजना के तहत एक हजार 500 करोड़ रुपये और ‘बांग्लार बाड़ी’ योजना के लिए नौ हजार 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में 12 लाख परिवारों को पक्के घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी गई, जबकि अगले वित्तीय वर्ष में 16 लाख परिवारों को यह सहायता दी जाएगी।

कृषि, पशुपालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

बजट में कृषि क्षेत्र को भी बड़ी प्राथमिकता दी गई है। कृषि विपणन विभाग को 426 करोड़ रुपये, कृषि विभाग को 10,000 करोड़ रुपये और पशुपालन विभाग को एक हजार 272 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, स्व-निर्भर समूह और स्वरोजगार योजना के तहत 798 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है। इसके अलावा, गंगा नदी के तटीय इलाकों में होने वाले कटाव को रोकने के लिए ‘नदी बंधन’ परियोजना के तहत 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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100 दिन की मजदूरी और ग्रामीण रोजगार पर फोकस

तृणमूल कांग्रेस पहले ही ग्रामीण मजदूरों के हक में कई कदम उठा चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा 100 दिन की रोजगार योजना का फंड रोकने के बाद राज्य सरकार ने फरवरी 2024 से अपने स्तर पर भुगतान शुरू किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, इस योजना के तहत 24.5 लाख मजदूरों को मजदूरी दी जा रही है। इसके अलावा, ‘कर्मश्री’ योजना की भी शुरुआत की गई, जिसके तहत ग्रामीण मजदूरों को 50 दिन का रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

2024 में आर.जी. कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद राज्य सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। खासतौर पर शहरी इलाकों में इस घटना का राजनीतिक असर देखने को मिला था, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका खास प्रभाव नहीं पड़ा। यही वजह है कि 2024 में हुए उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने सभी ग्रामीण सीटों पर जीत दर्ज की। अब 2026 के चुनाव को देखते हुए पार्टी ग्रामीण वोटबैंक को मजबूत करने के लिए बड़े स्तर पर निवेश कर रही है।

हालांकि, बजट पेश करने के बाद ममता बनर्जी ने इस बात को खुलकर स्वीकार नहीं किया कि ग्रामीण इलाकों को ज्यादा तवज्जो दी गई है। उन्होंने कहा कि हम ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं। गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे शहरों की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। लेकिन आंकड़े यह साफ कर रहे हैं कि इस बार का बजट पूरी तरह से ग्रामीण वोटबैंक को साधने की रणनीति पर केंद्रित है।

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