– डॉ. ईशान शिवानंद के मार्गदर्शन में साधना की दिव्य यात्रा में विचरण कर रहे हैं साधक
महाकुम्भ नगर, 17 फ़रवरी (हि.स.)। महाकुंभ का दिव्य, अद्भुत, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अवसर न केवल शरीर, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महाकुंभ महासाधना, शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से शुद्धि व समृद्धि का एक दिव्य अवसर है।
परमार्थ निकेतन शिविर में आयोजित शिवयोग महा साधना शिविर में साधकों को सोमवार को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , डा साध्वी भगवती सरस्वती का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। साधक आचार्य डॉ. ईशान शिवानंद के मार्गदर्शन में प्राचीन उपचार विधियों, गहन ध्यान साधना, और दिव्य ऊर्जा के साथ आत्मशुद्धि का आनंद लें रहे हैं। इस साधना के माध्यम से साधकों के जीवन में शुद्धता, आत्मज्ञान, चित्त की शांति के साथ सकारात्मक बदलाव आते हैं।
डॉ. ईशान शिवानंद के मार्गदर्शन में साधक, साधना की दिव्य यात्रा में विचरण कर रहे हैं। साधना और मंत्रों की गूंज ने पूरे वातावरण को दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। डॉ. ईशान शिवानंद जी के मार्गदर्शन में साधक, साधना के माध्यम से एक दिव्य यात्रा कर रहे हैं। जो साधकों के अन्दर भीतर की शक्ति और दिव्यता को पहचानने के लिए प्रेरित करती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि 53 करोड का संगम में अद्भुत संगम हुआ और यह संगम अभी जारी हैं। महाकुम्भ की दिव्य धरती पर आप सब साधकों को न केवल संगम स्नान प्राप्त हो रहा है बल्कि सतगुरू स्नान और सत्संग स्नान भी प्राप्त हो रहा है। सत्संग की शरण में सब कुछ होने लगता है। संगम के तट पर आये श्रद्धालु अपने संस्कृति व संस्कारों की एफडी (फिक्स डिपाजिट) बना रहे हैं। महाकुम्भ की डुबकी मस्त कर देने वाली है। उन्होंने हस्ती के साथ मस्ती से जीने का संदेश दिया। ये जिन्दगी अकड़ने के लिये नहीं बल्कि जुड़ने के लिये है। जो जोड़ दे वहीं अमृत है और उस अमृत को पाने के लिये ही ये सत्संग है। लाइफ कलेक्शन नहीं बल्कि कनेक्शन का नाम है। कई बार हम बटोरते -बटोरते स्वयं ही बिखर जाते हैं। बटोरना, विषाद् है बांटना, प्रसाद है और सत्संग हमें बांटने का संदेश देता है।
उन्होंने प्रत्येक क्षण के प्रति जागरूक होने का संदेश देते हुये कहा कि 144 वर्षो के बाद यह अद्भुत क्षण आया है इसलिये प्रत्येक क्षण और प्रत्येक श्वास के प्रति जागरूक रहें। उन्होंने संगम के तट से इनर संगम का संदेश दिया।
डॉ. ईशान शिवानंद ने कहा कि संगम तट, महाकुम्भ का दिव्य अवसर पर साधना का अपना ही आनंद व दिव्यता है। पूज्य स्वामी जी की कृपा हो तो हमें परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में भी शिविर करने का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने परमार्थ निकेतन में शिविर करने की इच्छा व्यक्त की।
डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सब जानते हैं कि यह कलयुग है, इसे अंधकार का युग कहा जाता है और इस युग में भी हम परम भाग्यशाली है कि हमें 144 वर्षो के पश्चात आने वाले महाकुम्भ में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। जब हम माया में; अन्धकार में पड़ते हैं तो हमें गुरू कृपा से उससे बाहर निकलने का अवसर प्राप्त होता है। महाकुम्भ एक ऐसा दिव्य अवसर है जहां पर सभी दिव्य शक्तियाँ आकर किसी न किसी रूप से हमारा मार्गदर्शन करती है।
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ केवल एक इवेंट नहीं है बल्कि यह एक दिव्य अवसर है। अमरत्व का उत्सव है।
भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये साधक शिवयोग महाकुम्भ का दिव्य आनंद ले रहे हैं।