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संगम में स्नान करके सारी तकलीफों को भूलकर कहते हैं ‘सब बढ़िया है’

महाकुम्भ नगर, 19 फरवरी (हि.स.)। टिमटिमाते तारों के नीचे कुम्भ नगरी प्रयागराज में संगम किनारे आकाश से देखिए तो तारों का शहर बहुत खूबसूरत लगता है। लगता है जैसे किसी ने सारे तारे लाकर त्रिवेणी के किनारे टांक दिए हैं। जहां 38 दिन में 55 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं यानी प्रतिदिन औसत 1 करोड़ 51 लाख से ज्यादा लोग महाकुम्भ में पहुंच रहे हैं। बता दें, महाकुम्भ का अंतिम स्नान 26 फरवरी महाशिवरात्रि को होगा।

मौनी अमावस्या की भगदड़ हो या फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़, श्रद्धालुओं से ठसाठस भरी ट्रेनों और बसों, मुख्य मार्गों पर लगे लंबे जाम, हवाई अड्डे पर घंटों जहाज की प्रतीक्षा करते यात्रियों की तस्वीरें हों, भले ही नैनी नया ब्रिज, फाफामऊ जैसे महाकुम्भ से सटे इलाकों में 10-12 किमी लंबी कारों की लाइन लगी रही। 8 से 10 किमी के सफर में लोगों को 3 से 4 घंटे लग रहे हैं। सवाल ये उठ रहा है कि महाकुम्भ को लेकर ऐसा क्या है कि कुम्भ का पवित्र स्नान बीत जाने के बाद भी भीड़ क्यों रुकने का नाम ही ले रही है? आखिर इसकी वजह क्या है?

आस्था, विश्वास या कुछ और : क्या 144 साल बाद महाकुम्भ होने के प्रचार से लोग प्रभावित होकर पहुंच रहे हैं? क्या लोगों को लगता है कि योगी सरकार ने उत्तम व्यवस्था कुम्भ में की है? क्या सोशल मीडिया रील की वजह से करोड़ों लोग कुम्भ पहुंच रहे हैं? क्या दूसरे चले गए-हम नहीं जा पाए वाली सोच लोगों की संख्या बढ़ा रही है? या फिर हकीकत ये है कि चाहे जितनी भी मुश्किलें और मुसीबतें हों, लोगाों का धर्म के प्रति विश्वास इतना मजबूत में लगातार नए रिकॉर्ड बन रहे हैं? क्या ये धर्म को लेकर विश्वास की ताकत है या फिर कुछ और?

वरिष्ठ पत्रकार सुशील शुक्ल कहते हैं, ‘ये आम आदमी हैं। श्रद्धा, आस्था, भक्ति से पूरी तरह डूबे हुए हैं।’ वो आगे कहते हैं, ‘महाकुम्भ जाने वाले दो ही प्रतिक्रियाएं देते हैं। जब परेशानी से सफर पूरा करना पड़ता है तो लोग सिस्टम को कोसते हैं। प्रयागराज पहुंचकर दस से पंद्रह किलोमीटर घूमघामकर जब संगम में स्नान करते हैं तो सारी परेशानियों, समस्याओं और सिस्टम को कोसने की बजाय एक ही बात कहते हैं- ‘सब ठीक है’।

समाज शास्त्री संजय शुक्ल बताते हैं, ‘एक बात और है जो अहम है। वो है पीएम मोदी और सीएम योगी की लोकप्रियता। पिछले एक दशक में आमजन राजनीतिक प्रतिबद्धता के प्रदर्शन का भाव बढ़ा है। अब लोग अपनी राजनीतिक विचारधारा और प्रतिबद्धता को बढ़-चढ़कर प्रदर्शन करते हैं। कुम्भ में ऐतिहासिक भीड़ पहुंचने का एक बड़ा फैक्टर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता भी है। शुक्ल आगे बताते हैं, ‘जनता अपने नेता के प्रति प्रबिद्धता, प्रेम और विश्वास जताने के लिये भी ऐसे काम करती है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक संदेश जाते हैं।’

प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार विनय मिश्र कहते हैं,’प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं को जमीनी हकीकत पता है। उन्हें पता है कि वहां व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है, करीब 10 से 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा, ट्रेनों में, बसों में जगह नहीं है, खाना पीना मंहगा है, टायलेट की पर्याप्त सुविधा नहीं है, आदि आदि। सारी तकलीफें, परेशानियों पता होने के बावजूद श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। सब कोई पवित्र त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाना चाहते हैं। इन श्रद्धालुओं में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। जाहिर है कि यह भीड़ अब शोध का विषय हो सकता है क्योंकि धर्म और आस्था से भी बड़ा मामला होता दिख रहा है इस बार का महाकुम्भ।’

धर्म रक्षा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहित शर्मा कहते हैं, ‘मोदी और योगी जी ने हिन्दू समाज को जगाने का काम किया है। केंद्र और प्रदेश की सरकार ने पिछले एक दशक में जो वातावरण बनाया है उससे आम हिन्दू अपने धर्म, रीति रिवाज और संस्कारों के प्रदर्शन में हिचकता नहीं है। कुम्भ में करोड़ों की भीड़ उसी आत्मविश्वास और वातावरण का नतीजा है।’

अयोध्या हनुमानगढ़ी हरिद्वारी पट्टी के महंत राजेश दास पहलवान के अनुसार, ‘इससे पहले कुम्भ में कभी इतने श्रद्धालु शामिल नहीं हुए। ये सनातन धर्म के प्रति लोगों की बढ़ती आस्था, विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। सनातन धर्म ही सबके सुख, कल्याण और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता है। कुम्भ में करोड़ों श्रद्धालुओं ने शामिल होकर पूरी दुनिया को सनातन की शक्ति, सामर्थ्य और संस्कारों का परिचय कराया है।’

श्री गंगा सभा ह​रिद्वार के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ के अनुसार, ‘सोशल मीडिया की रील्स से लाख दो लाख लोग तो प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन कुम्भ में जो करोड़ों श्रद्धालु हर रोज पहुंच रहे हैं। वो रील्स से नहीं सनातन धर्म से प्रभावित हैं। वो कहते हैं, ‘देश के बदले राजनीतिक वातावरण ने आम आदमी के ​मनोभाव भी बदले हैं। सरकार ने सनातन धर्म को उचित सम्मान दिया है तो आम आदमी भी खुलकर सनातन का समर्थन और प्रदर्शन कर रहा है।’

वरिष्ठ पत्रकार केपी त्रिपाठी कहते हैं, ‘अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह भीड़ धर्मभीरू लोगों की है तो शायद आप गलत हैं। जो लोग संगम स्नान कर जन्म जन्मांतर के पाप धोना चाहते थे उनके लिए पूरे साल स्नान का मौका रहता है। वो कहते हैं,’पिछले एक-डेढ़ दशक में हिन्दू समाज राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर पहले से अधिक चेतन हुआ है। कुम्भ में पढ़े लिखे युवाओं, हाई क्लास सोसाइटी और प्रोफेशनल्स की भागीदारी की अपने मायने हैं। ऐसे में आम भारतीय को धर्मभीरू कहकर उनका हंसी उड़ाने वालों के लिए करोड़ों की यह भीड़ किसी सदमे से कम नहीं है।’

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