इटानगर, 20 फरवरी (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश का 39वां राज्यत्व दिवस भव्य रूप से आज मनाया गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केटी परनायक ने इटानगर में आयोजित समारोह में भाग लेते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया और गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी ली।
अपने संबोधन में, अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने राज्य के लोगों को 39वें राज्यत्व दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह दिन अरुणाचल प्रदेश के लोगों की सामूहिक इच्छा और आकांक्षाओं से प्रेरित प्रगति और विकास की उल्लेखनीय यात्रा का उत्सव है।
राज्यपाल ने बुनियादी ढांचा, शिक्षा और युवा सशक्तिकरण में निवेश से प्रेरित ‘विकसित अरुणाचल’ के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने एक ऐसे राज्य के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया जहां प्रत्येक नागरिक को फलने-फूलने का अवसर मिले।
राज्यपाल ने लोगों से आपसी समझ का पुल बनाने, हमारी विविधता को अपनाने और एकता से ताकत हासिल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आइए हम प्रयास करें और अपनी सकल राज्य प्रसन्नता में सुधार करें। उन्होंने इस अवसर पर लोगों से आग्रह किया कि आज हम जो विकल्प चुनते हैं वह पीढ़ियों तक गूंजता रहेगा, इसलिए आइए हम बुद्धिमानी से विकल्प चुनें और अपने राज्य की सफलता और सद्भाव के लिए साहसपूर्वक कार्य करें।
राज्य की विशिष्ट पहचान पर प्रकाश डालते हुए, राज्यपाल ने अरुणाचल प्रदेश को विविधता में एकता का प्रतीक बताया, जो विकास के अपने विशिष्ट पथ को आगे बढ़ाते हुए संवैधानिक मूल्यों में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा कि राज्य उग्रवाद से मुक्त एक हरित राज्य के रूप में खड़ा है, जहां लोग गर्व और एकता के साथ राष्ट्रवादी भावनाओं को कायम रखते हैं, अक्सर देशभक्ति के प्रतीक के रूप में ‘जय हिंद’ का नारा लगाते हैं।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को स्वीकार किया। उन्होंने ‘एक्ट ईस्ट-एक्ट नाउ’ नीति के तहत अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार’ के रूप में स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को श्रेय दिया।
अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हुए, राज्यपाल ने तिब्बत-चीन और म्यांमार के साथ अपनी सीमाओं के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।
उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए सशस्त्र बलों के प्रति लोगों के अटूट समर्थन की सराहना की। उन्होंने बुलियांग, केबांग और मुक्चम जैसी संस्थाओं के माध्यम से क्षेत्र की स्वशासन की समृद्ध परंपरा पर भी जोर दिया, जिन्होंने लंबे समय से लोकतंत्र, निष्पक्षता और जवाबदेही को बरकरार रखा है।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने मतमुर जमोह और मोजे रीबा सहित राज्य के गुमनाम नायकों के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने अरुणाचल प्रदेश के अधिकारों और स्वायत्तता के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने नागरिकों से उनके साहस से प्रेरणा लेने और ‘विकसित अरुणाचल’ के निर्माण की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर राज्य के मुख्य मंत्री पेमा खांडू, उप मुख्य मंत्री चोना मिन, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू, अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष तेसम पोगते आदि भी मौजूद थे।