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छत्तीसगढ़ के बस्तर को नक्सल मुक्त करने में पिछले 20 वर्षाें का टूटा रिकॉर्ड, 217 नक्सली ढेर, नए वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार

-नक्सलियों से सर्वाधिक 284 हथियार जब्त, सबसे कम 19 जवानों का हुआ बलिदान, कोर इलाकाें में 28 नए कैंप खुले

जगदलपुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के इलाकाें में की गई कार्यवाही में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए वर्ष 2024 सर्वाधिक सफलताओं से भरा रहा है। जवानाें ने इस वर्ष 217 नक्सलियों को ढेर किया है। 2001 से लेकर 2023 तक मारे गए नक्सलियों की अधिकतम संख्या 134 ही थी। इस वर्ष 2024 में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने मुठभेड़ के भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सुरक्षा बल इस साल सर्वाधिक नक्सलियों को ढेर करने में सफल रहे। इस सफलता के पीछे का बड़ा कारण अंदरूनी इलाके में बड़े पैमाने में खोले गए सुरक्षा बलाें के कैंप हैं।

वर्ष 2024 में खाेले गए 28 नए कैंप-

सुरक्षाबलाें ने इस वर्ष 28 नए कैंप खोले हैं, इनमें से ज्यादा कैंप नक्सलियों के कोर इलाकाें में खाेले गये हैं। इनमें बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर का अबूझमाड़ शामिल है। नये कैंप खुलने से सुरक्षाबलाें को ऑपरेशन लांच करने में आसानी हुई और पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने पिछले 20 वर्षाें का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। नशे के खिलाफ कार्रवाई में भी पुलिस को सफलता मिली है। इस वर्ष पुलिस ने 5 करोड़ 85 लाख रुपये से ज्यादा का गांजा जब्त कर 241 तस्करों को गिरफ्तार किया है।

इस वर्ष सर्वाधिक 217 नक्सली हुए ढेर-

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने आज (मंगलवार) काे बताया कि बस्तर संभाग को नक्सल मुक्त करने की दिशा में इस वर्ष 2024 में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को नक्सल मोर्चे पर हर ओर से सफलता मिली है। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के थुलथुली के जंगलों में इस वर्ष अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 38 नक्सली ढेर हुए थे। इसके साथ ही पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने सर्वाधिक 217 नक्सलियों को ढेर करने में सफलता मिली है, वहीं नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले पूवर्ती, दुलेड़, कस्तुरमेटा, कच्चापाल, ईरकभट्टी जैसे अति संवेदनशील स्थानों पर 28 नए पुलिस कैंप भी खोले गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप 792 नक्सलियाें ने आत्मसमर्पण किया है। वहीं 925 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, नक्सलियों से 284 हथियार भी जब्त किए हैं। वहीं सबसे कम 19 जवानों ने बलिदान दिया है। जवानों ने अपने दम पर कैंप खोले हैं। इसके बाद इलाके में विकास की गति तेज हो पाया है। उन्हाेंने बताया कि 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि 2024 की तरह 2025 में भी हमें बड़ी सफलताएं मिलेंगी। हमारे जवान नक्सलवाद के खात्मे के लिए पूरे जोश से आगे बढ़ रहे हैं।

नए वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार-

उल्लेखनीय है कि नाराणपुर जिले के अबूझमाड़ का क्षेत्रफल साढ़े चार हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है, यहां की भौगोलिक परिस्थितियां नक्सलियों के काफी अनुकूल है। यही कारण है कि अबूझमाड़ को नक्सलियों की अघोषित राजधानी माना जाता है। पुलिस अधिकारियाें का मानना है कि बस्तर संभाग में नक्सल आतंक से संपूर्ण शांति का मार्ग अबूझमाड़ से होकर ही निकलेगा, इसलिए अबूझमाड़ को नक्सल मुक्त करना जरूरी है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने इस बाबत अपनी रणनीति भी बदली है। नए वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है, जिसमें नक्सलियों की अघोषित राजधानी अबूझमाड़ पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित होगा। बस्तर में मैदानी इलाके की घेराबंदी का काम 2024 में लगभग पूरा हो चुका है। अब वक्त अबूझमाड़ के घनघोर जंगलों को घेरने का है। अबूझमाड़ इस लिए भी अहम है क्योंकि यह नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका है। नक्सली इसे अपनी राजधानी बताते रहे हैं। आज तक माड़ का जमीनी सर्वे नहीं हुआ है। यहां के गांवों में आज तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। बस्तर के बाकी इलाकों की तुलना में सबसे चुनौतीपूर्ण इलाका अबूझमाड़ ही है। फोर्स अगर 2025 में माड़ को फतह कर लेती है तो 70 प्रतिशत नक्सलियों का सफाया बस्तर से हो जाएगा।

जनवरी में पुलिस और अर्धसैनिक बल अबूझमाड़ को घेरने की बना रहे रणनीति-

सूत्राें के अनुसार यहां जनवरी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 40 नए सुरक्षा कैंप खोले जाएंगे। इसके लिए केंद्रीय अर्ध सैन्य बल की दो अतिरिक्त बटालियन भी मिलेंगी। सूत्र बताते हैं कि इसी महीने जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रायपुर में नक्सल ऑपरेशन से जुड़ी अहम बैठक ली तो उसमें तय किया गया कि जनवरी से ही पुलिस और अर्धसैनिक बल अबूझमाड़ को घेरना शुरू करेगी। अबूझमाड़ के इलाके में बड़े नक्सल कैडराें की मौजूदगी यहां अब भी हाेने की सूचना है, जिसे ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाया जा रहा है। साढ़े चार हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले अबूझमाड़ में दुर्दांत नक्सली अभी भी छिपे हुए हैं।

बताया जाता है नक्सलियों के बड़े ट्रेनिंग कैंप अबूझमाड़ में ही ऑपरेट होते रहे हैं। गुरिल्ला वॉरफेयर की ट्रेनिंग यहीं पर नक्सलियों के नए लड़ाकों को दी जाती है। लगातार कमजोर होते नक्सली अब बस्तर में नए सिरे से भर्ती का प्रयास कर रहे हैं। थुलथुली मुठभेड़ में नीति के ढेर होने के बाद यहां पर सेंट्रल कमेटी के पूर्व सचिव गणपति, मोपल्ल राजू, बसव राजू और सेंट्रल कमेटी मेंबर सोनू दादा की मौजूदगी है। फोर्स को समय-समय पर इनकी मौजूदगी के इनपुट मिलते रहते हैं। अब सटीक सूचना के आधार पर इन बड़े लीडर पर प्रहार की योजना पर काम किया जा रहा है। 2024 में हुई मुठभेड़ में जहां नक्सलियों की सबसे खतरनाक कंपनी नंबर 1 और 2 का सफाया किया गया तो अब निशाने पर माड़ एरिया डिवीजन कमेटी के नक्सली हैं।

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