वाराणसी, 05 जून (हि.स.)। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि गंगा दशहरा पर गुरुवार को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने उत्तरवाहिनी पुण्य सलिला गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई और दान पुण्य के बाद देवगुरू बृहस्पति और श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। भोर लगभग चार बजे से दिन चढ़ने तक श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए घाटों पर पहुंचते रहे।
🎉 स्नान स्थल और भीड़
प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, भैसासुर, खिड़किया घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ रही। ग्रामीणों की संख्या शहरियों से अधिक थी। गौदोलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा माहौल बना रहा। प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। गंगा की ओर जाने वाले मार्गों पर यातायात भी प्रतिबंधित किया गया है।
📜 गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में वृष लग्न में हुआ था। आज ही के दिन हजारों साल पहले स्वर्ग की नदी गंगा धरती पर आईं थी और पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर रह गईं। तब से यह तिथि गंगा दशहरा के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गंगा में स्नान और दान का विशेष महत्व है। गंगा स्नान से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🌺 मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार एवं षोडशोपचार पूजन
दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से किशोरी रमण दूबे ‘बाबू महाराज’ के नेतृत्व में मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया।
🕯️ गंगा दशहरा की महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम
शाम को दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से भव्य गंगा दशहरा महोत्सव का आयोजन होगा। मां भगवती के अवतरण दिवस के पावन अवसर पर वैदिक रीति रिवाज से पूजन और महाआरती के बाद घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। कार्यक्रम की शुरुआत सायंकाल 6 बजे से होगी, जिसे गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया।