भारत सरकार ने 2025-26 की पहली तिमाही में कोयला उत्पादन और डिस्पैच के नए आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कोयला मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल-जून 2025 के बीच कुल 15.57 मिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ और 17.31 मिलियन टन का डिस्पैच किया गया।
🏭 कैसे बदला भारत का कोयला परिदृश्य?
- उत्पादन वृद्धि: 16.39%
- डिस्पैच वृद्धि: 13.03%
- नई खदान: उत्कल ए (25 एमटी क्षमता)
- नए कोयला ब्लॉक: 3 स्वामित्व आदेश जारी
🧭 कोयला उत्पादन में कौन सा राज्य आगे है?
झारखंड भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य बना हुआ है। इसके बाद ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य तेजी से उत्पादन में योगदान दे रहे हैं।
⚙️ कोयला मंत्रालय का लक्ष्य: आत्मनिर्भर भारत
मंत्रालय का कहना है कि घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाना न केवल ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की रणनीति का मुख्य आधार भी है।
💡 कोयले से जुड़े 4 जरूरी तथ्य
- कोयला क्या है?
यह एक जीवाश्म ईंधन है, जो बिजली और औद्योगिक उपयोगों में प्रयोग होता है। - प्रकार – एन्थ्रासाइट, बिटुमिनस, सब-बिटुमिनस, लिग्नाइट
- भारत की पहली खदान – रानीगंज (पश्चिम बंगाल), 1774
- 1 किलो कोयले की कीमत – ₹6 से ₹12 (गुणवत्ता पर निर्भर)
📌 निष्कर्ष: क्या ये सिर्फ आंकड़े हैं?
बिलकुल नहीं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत अब ऊर्जा के लिए आत्मनिर्भर बन रहा है। कोयला उत्पादन में यह उछाल भारत के औद्योगिक विकास, रोज़गार, और ऊर्जा नीति में बदलाव का प्रतीक है।
📢 अब आपकी बारी:
क्या आपको लगता है कि भारत को कोयले पर निर्भर रहना चाहिए या वैकल्पिक ऊर्जा की ओर बढ़ना चाहिए? नीचे कमेंट करें।