गुरुग्राम/हरियाणा, 05 जुलाई —
हरियाणा सरकार अब राज्य की सड़कों पर हो रहे हादसों की वैज्ञानिक जांच शुरू करने जा रही है।
इस अध्ययन में शामिल होंगे:
- सड़क की गुणवत्ता
- गति नियंत्रण
- सड़क प्रबंधन
- और सबसे अहम – आवारा पशु जैसे बाहरी कारण!
हैरानी की बात यह है कि 2022 से 2025 के बीच दुर्घटनाओं और मौतों में गिरावट दर्ज की गई है,
लेकिन सरकार मानती है कि ये सिर्फ आंकड़ों की बाज़ीगरी नहीं हो सकती — पीछे कुछ गहरे कारण ज़रूर हैं।
🔍 क्यों जरूरी है यह स्टडी?
- हरियाणा में प्रतिवर्ष हजारों सड़क हादसे होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग जान गंवाते हैं या अपंग हो जाते हैं।
- सरकार का मानना है कि जब तक दुर्घटनाओं के वैज्ञानिक कारणों को न समझा जाए, तब तक समाधान संभव नहीं।
🧪 कौन करेगा अध्ययन?
सरकार एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम गठित कर रही है, जिसमें शामिल होंगे:
- सड़क इंजीनियर
- ट्रैफिक एक्सपर्ट्स
- पशु नियंत्रण अधिकारी
- डेटा वैज्ञानिक
यह टीम हादसों के पुराने रिकॉर्ड, ग्राउंड रियलिटी और GPS आधारित स्पीड डेटा के ज़रिए पूरा रोड मैप तैयार करेगी।
🐂 आवारा पशु: साइलेंट किलर?
- हरियाणा के कई हाईवे और शहरी क्षेत्रों में आवारा गाय और सांड अचानक सड़क पर आकर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
- वैज्ञानिक अध्ययन में इन्हें एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
🚦 स्मार्ट सड़कें या स्मार्ट लापरवाही?
सरकार ने कई जगह इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम (ITS) और स्पीड कैमरास लगाए हैं, लेकिन कई हादसे फिर भी हो रहे हैं।
अब यह जांचेगा कि:
- क्या स्पीड ही असली गुनहगार है?
- या फिर सड़कों की बनावट में ही है खामी?
📉 2022–2025: आंकड़ों में राहत, लेकिन…
- हालांकि इन वर्षों में दुर्घटना दर में गिरावट दर्ज की गई, पर यह सतही राहत हो सकती है।
- सरकार अब यह जानना चाहती है कि क्या हादसे कम हुए, या रिपोर्टिंग घटी है?
🎯 निष्कर्ष
हरियाणा सरकार का यह कदम सिर्फ एक स्टडी नहीं, बल्कि एक “सड़क सुरक्षा मिशन” है।
जिसका लक्ष्य है —
“हादसे नहीं, हल चाहिए!”
अब देखना होगा कि इस वैज्ञानिक अध्ययन से वास्तव में कौन-कौन से राज़ बाहर आते हैं — और क्या हरियाणा की सड़कें आने वाले वर्षों में वाकई सुरक्षित बनेंगी?