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पाकिस्तान का 91 सदस्यीय जायरीन जत्था अजमेर पहुंचा, धरती को चूमकर भारत सरकार को शुक्रिया कहा

अजमेर, 7 जनवरी (हि.स.)। पूरी दुनिया में भाईचारे, इंसानियत और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए विख्यात राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें सालाना उर्स में शामिल होने 91 सदस्यीय पाकिस्तानी जायरीन जत्था आज मध्य रात्रि करीब सवा तीन बजे अजमेर पहुंचा। यहां रेलवे स्टेशन पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था व निगरानी के बीच जत्थे को रोडवेज बस में बिठा कर उनके अस्थाई आवास सेंट्रल गल्र्स स्कूल प्रांगण में बने विश्राम स्थल पर छोड़ा गया। इस दौरान रेलवे स्टेशन के अंदर व बाहर पुलिस, सीआईडी, रेलवे सुरक्षा बल और विभिन्न एजेंसियों के सुरक्षा अधिकारियों का भारी भरकम जमावड़ा रहा।

पाकिस्तानी जायरीन ने अजमेर स्टेशन पर उतरते ही अजमेर की धरती को चूमा और आंखों में खुशी के आंसुओं के साथ ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के प्रति शुक्रिया अदा किया कि वे आज इस पाक स्थल पर उनके समक्ष अपनी अकीदत का इजहार करने पहुंच पाए। हालांकि मीडिया को पाक जायरीन से दूर रखा गया किन्तु मीडिया की ओर से पूछे गए सवाल पर उन्होंने अपनी भावना साझा करते हुए कहा कि भारत सरकार की ओर से उन्हें अजमेर शरीफ तक पहुंचाने के लिए किए गए इंतजामों से वे प्रसन्न हैं। पाक जायरीन ने कहा कि दोनों मुल्क एक ही होने चाहिए। उन्होंने दोनों मुल्कों के बीच प्रेम, भाईचारा और सौहार्द कायम बने रहने की कामना की।

इस दौरान सभी पाक जायरीन की प्रारंभिक रूप से पूरी तरह जांच की गई। उनके सामानल को स्केनर से निकाला गया और फिर उन्हें स्टेशन के बाहर ही खड़ी रोडवेज की बसों में बैठा कर पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल ले जाया गया। जहां उनके विश्राम और मेडिकल जांच की व्यवस्था की गई थी।

आज चढ़ाएंगे चादर ….

पाकिस्तान से आए जायरीन जत्था मंगलवार को दरगाह शरीफ में सामूहिक रूप से चादर और अकीदत के पुष्प पेश करेंगे। हालाकि अभी तक आधीकारिक रूप से चादर चढ़ाने का समय तय नहीं बताया गया है। संभावना है कि छठी का अवसर होने के कारण मंगलवार को ही चादर पेश की जाएगी।

छोटे कुल की रस्म देर रात शुरू……..

उल्लेखनीय है कि 1 जनवरी 25 से शुरू हुए ख्वाजा के 813 वे सालाना उर्स के मौके पर मंगलवार को छठी की रस्म है। इस दिन देर रात से ही दरगाह शरीफ को जायरीन ने केवेडे, इत्र और गुलाब जल के छीटें देकर धोना शुरू कर दिया। छठी की रस्म शुरू होने पर विशेष आध्यात्मिक महत्व है।

ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स छह दिन तक चलता है। 813 वर्ष पूर्व रजब की पहली तारीख को ख्वाजा साहब इबादत के लिए अपनी कोठरी में चले गए और अपने मुरीदों को निर्देश दिए कि उन्हें इबादत के बीच आवाज़ नहीं दी जाए, जब छह दिन तक जब वे बाहर नहीं आए तो उनके मुरीदों ने कोठरी खोल कर देखा तो ख्वाजा साहब का इंतकाल हो चुका था। इस कारण ख्वाजा साहब का उर्स छह दिन तक मनाने की परंपरा हैं।

जन्नती दरवाजा हुआ बंद…..

ख्वाजा साहब की दरगाह में साल में चार बार खुलने वाला जन्नती दरवाजा छठी की रस्म शुरू होते ही जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। ख्वाजा साहब के बड़े कुल की रस्म 10 जनवरी को होगी।

दो लाख से अधिक जायरीन अजमेर में मौजूद

ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अपनी गहरी आस्था रखने वाले करीब दो लाख से ज्यादा जायरीन मंगलवार तक अजमेर में मौजूद है। हजारों जायरीन देर रात कुल के छीटे देकर घरों को लौट गए।

ख्वाजा साहब के मजार शरीफ पर देश विदेश के संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं और अधिकारियों की और से चादर चढ़ाने का सिलसिला जारी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की और से भी मंगलवार को दरगाह शरीफ में चादर पेश की जाएगी।

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