पौड़ी गढ़वाल, 10 जुलाई (हि.स.) —
जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने गुरुवार को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को अधिक रचनात्मक और बाल-मित्र बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों को शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन और गतिविधियों का केंद्र बनाया जाए ताकि बच्चों की लर्निंग क्षमता को ट्रैक किया जा सके।
🧸 प्रमुख निर्देश और पहलें:
- मनोरंजक शिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किए जाएं
- गोल मेज, बच्चों की कुर्सी, रसोई गैस, पोषण वाटिका की अनिवार्य उपलब्धता
- प्रत्येक आंगनबाड़ी में “प्रतिभा दिवस” का आयोजन
- अभिभावकों के साथ नियमित बैठकें
- किशोरियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण
- बंद केंद्रों को निकटतम केंद्र से संचालित करने के निर्देश
📋 प्रशासनिक समन्वय और निरीक्षण:
जिलाधिकारी ने कहा कि बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों का समन्वय करें।
साथ ही, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाए ताकि केंद्रों का संचालन बेहतर हो।
🏆 60 उत्कृष्ट आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन:
पहले चरण में 60 आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल रूप में विकसित किया जाएगा, जिनमें सभी बुनियादी सुविधाएं और बेहतर सीखने का वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा।
🥦 पोषण अभियान – फ्योंली कार्यक्रम:
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जानकारी दी कि फ्योंली कार्यक्रम के तहत जिले में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को अधिकारियों द्वारा गोद लेकर उनके पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा की जिम्मेदारी ली जा रही है।
👥 उपस्थित अधिकारी:
बैठक में बाल विकास परियोजना अधिकारी जयहरीखाल महबूब खान, कोट की अंजू चमोली, पौड़ी की आशा रावत, यमकेश्वर की अंजू गौड़, पाबौ की चंद्रकांता काला और एकेश्वर की हेमंती रावत उपस्थित रहे।
📝 निष्कर्ष:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को आनंददायक बनाया जाए और आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषण, सुरक्षा और आत्मविश्वास से जोड़कर संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जाए।