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बिना इंजीनियरिंग की पढ़ाई के खड़ा कर दिया इंजीनियर्स का एम्पायर

अब्दुल कलाम: साधारण शुरुआत, असाधारण सफर

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ।

  • पृष्ठभूमि:
    • गरीब मछुआरे परिवार। पिता जैनुलाब्दीन नाविक, माता असीम्मा गृहणी।
    • आठ साल की उम्र में अखबार बेचे।
    • पैदल चलकर अखबार बांटते और पढ़ते।
  • शिक्षा:
    • भौतिकी में स्नातक, सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली (1954)।
    • मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से वैमानिक अभियांत्रिकी (Aeronautical Engineering) में डिप्लोमा (1960)।
    • कोई औपचारिक इंजीनियरिंग डिग्री नहीं, केवल डिप्लोमा।

क्या साधारण पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति इंजीनियर्स का एम्पायर बना सकता है?

बिना डिग्री के इंजीनियर्स का एम्पायर

कलाम ने बिना इंजीनियरिंग डिग्री के भारत के वैज्ञानिक क्षेत्र में क्रांति ला दी।

  • इसरो में योगदान:
    • 1963 में इसरो जॉइन किया।
    • SLV-3 (सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) का नेतृत्व।
    • 1980 में रोहिणी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया।
  • डीआरडीओ और मिसाइल कार्यक्रम:
    • 1983 में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) शुरू।
    • अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, और नाग मिसाइलें विकसित।
    • “मिसाइल मैन” उपनाम इन उपलब्धियों से मिला।
  • पोखरण-II (1998):
    • परमाणु परीक्षण में तकनीकी नेतृत्व।
    • भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया।

क्या बिना डिग्री के इतना बड़ा योगदान संभव था?

कैसे बनाया इंजीनियर्स का एम्पायर?

कलाम ने इंजीनियर्स को प्रेरित कर एक “एम्पायर” बनाया।

  • नेतृत्व:
    • इसरो और डीआरडीओ में इंजीनियर्स की टीमें बनाईं।
    • सहयोग और नवाचार को बढ़ावा दिया।
    • X पर @SadhguruJV: “कलाम ने सादगी और समर्पण से इंजीनियर्स को प्रेरित किया।”
  • प्रेरणा:
    • किताबें जैसे विंग्स ऑफ फायर और इग्नाइटेड माइंड्स
    • युवाओं को सपने देखने और मेहनत करने की सलाह।
  • विजन:
    • भारत को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना।
    • शिक्षा और विज्ञान पर जोर दिया।

क्या कलाम का विजन आज भी इंजीनियर्स को प्रेरित करता है?

संघर्ष और प्रेरक कहानी

कलाम का जीवन संघर्षों से भरा था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।

  • आर्थिक तंगी:
    • गरीबी के कारण पढ़ाई के साथ अखबार बेचे।
    • X पर @IndiaHistorypic: “कलाम ने MIT में वैमानिक अभियांत्रिकी पढ़ी।”
  • असफलताएं:
    • पायलट बनने का सपना टूटा।
    • SLV-3 की पहली लॉन्च असफल (1979)।
    • असफलता को सीख में बदला।
  • सादगी:
    • साधारण जीवन जिया।
    • पक्षियों को बचाने के लिए कांच की दीवार का विरोध किया।

क्या कलाम की सादगी उनकी सफलता का राज थी?

निष्कर्ष: कलाम का एम्पायर

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बिना इंजीनियरिंग डिग्री के इंजीनियर्स का एम्पायर बनाया।

  • गरीबी और असफलताओं को हराया।
  • इसरो, डीआरडीओ, और पोखरण-II में योगदान।
  • युवाओं को सपने देखने की प्रेरणा दी।
  • सावन 2025 में उनकी कहानी प्रेरित करेगी।

क्या आप कलाम के एम्पायर से प्रेरणा लेकर अपने सपनों को उड़ान देंगे?

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