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आसमान पर छोटे लोगों की बड़ी उड़ान

इसी सत्ताईस अप्रैल को केंद्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) के आठ साल पूरे हुए हैं। मोदी सरकार ने 21 अक्टूबर 2016 को देश के आम नागरिकों के लिए उड़ान योजना की घोषणा की थी। इसकी पहली उड़ान 27 अप्रैल, 2017 को शिमला और दिल्ली के बीच संचालित हुई थी। तब से अब तक 625 उड़ान मार्ग चालू किए गए हैं। यह योजना पूरे भारत में 90 हवाई अड्डों (दो जल हवाई अड्डों और 15 हेलीपोर्ट सहित) को जोड़ती है। अब तक 1.49 करोड़ से अधिक यात्री किफायती क्षेत्रीय हवाई यात्रा से लाभान्वित हुए हैं। यही नहीं देश का हवाई अड्डा नेटवर्क 2014 में 74 हवाई अड्डों से बढ़कर 2024 में 159 हवाई अड्डों तक पहुंच गया। यह एक दशक में दोगुने से भी अधिक है। वंचित एवं दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण के रूप में 4,023.37 करोड़ रुपये वितरित किए गए। उड़ान ने क्षेत्रीय पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और व्यापार को मजबूत किया। इससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।

यह आंकड़े भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) से लिए गए हैं। पीआईबी ने 26 अप्रैल की विज्ञप्ति में उड़ान योजना पर विस्तार से चर्चा की है। विज्ञप्ति में कहा गया कि लंबे समय से आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाने वाला आकाश कभी भारत में कई लोगों के लिए एक अप्राप्य सपना रहा है। इस अंतर को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 21 अक्टूबर, 2016 को क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान का शुभारंभ किया। यह प्रधानमंत्री के इस विजन पर आधारित है कि हवाई चप्पल पहनने वाला एक आम आदमी भी हवाई यात्रा करने में सक्षम होना चाहिए। उड़ान का उद्देश्य सभी के लिए उड़ान को सुलभ और किफायती बनाकर विमानन को बढ़ावा देना है। नागर विमानन मंत्रालय के माध्यम से इस प्रमुख योजना ने तब से भारत के क्षेत्रीय संपर्क परिदृश्य को बदल दिया है। आम नागरिक के लिए किफायती हवाई यात्रा का सपना 27 अप्रैल, 2017 को पहली उड़ान के साथ साकार हुआ। यह ऐतिहासिक उड़ान ने शिमला की शांत पहाड़ियों को दिल्ली के हलचल भरे महानगर से जोड़ा। भारतीय विमानन क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी यात्रा के साथ यह मील का पत्थर है।

उड़ान की परिकल्पना राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016 के तहत की गई थी। इसका लक्ष्य 10 साल तय किया गया, ताकि टियर-2 और टियर-3 शहरों को बाजार संचालित लेकिन वित्तीय रूप से समर्थित मॉडल के माध्यम से जोड़ा जा सके। सरकार की इस योजना ने एयरलाइनों को रियायतों और व्यवहार्यता अंतर निधि के माध्यम से क्षेत्रीय मार्गों पर परिचालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे किफायती किराया और बेहतर पहुंच सुनिश्चित हुई। इन उड़ानों का लैंडिंग और पार्किंग शुल्क माफ किया गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण इन उड़ानों पर टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क नहीं लगाता है। केंद्र सरकार ने पहले तीन वर्ष तक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (पर उत्पाद शुल्क 2 प्रतिशत तक सीमित किया। राज्य सरकारों ने दस वर्षों के लिए आवश्यक सेवाएं कम दरों पर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता दोहराई।

इन आठ वर्षों में यह योजना कई चरणों से गुजरी है। पहली उड़ान के बाद पांच एयरलाइन संचालकों को 70 हवाई अड्डों के लिए 128 मार्ग आवंटित किए गए। इनमें 36 नए हवाई अड्डे भी शामिल हैं। 2018 में उड़ान 2.0 के तहत इसमें 73 कम जुड़ाव वाले और ऐसे क्षेत्र जिनसे जुड़ाव नहीं था उन हवाई अड्डों को शामिल किया गया। पहली बार हेलीपैड को भी उड़ान नेटवर्क से जोड़ा गया। अगले साल 2019 में उड़ान 3.0 के अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय के समन्वय से पर्यटन मार्ग शुरू किए गए। जल हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए समुद्री विमान परिचालन को शामिल किया गया । पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई मार्गों को इस योजना से जोड़ा गया। 2020 में उड़ान 4.0 में पहाड़ी क्षेत्रों, पूर्वोत्तर राज्यों और द्वीप क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। हेलीकॉप्टर और समुद्री विमान सेवा पर अधिक जोर दिया गया।

अक्टूबर 2025 में उड़ान ने अपने 9वें वर्ष के प्रवेश में इस योजना ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की।

इस यात्रा को अधिक समावेशी बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप कोलकाता और चेन्नई हवाई अड्डों पर किफायती यात्री कैफे शुरू किए गए। यहां 10 रुपये में चाय और 20 रुपये में समोसा मिलता है। इसमें कृषि उड़ान योजना से चार चांद जड़े। किसानों को सहायता प्रदान करने और कृषि-उत्पादों के लिए मूल्य प्राप्ति में सुधार करने के लिए बनाई गई कृषि उड़ान विशेष रूप से पूर्वोत्तर, पहाड़ी तथा आदिवासी क्षेत्रों से समय पर और लागत प्रभावी हवाई रसद की सुविधा प्रदान करती है। यह बहु-मंत्रालय योजना वर्तमान में 58 हवाई अड्डों को कवर करती है।

केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में 50 नए हवाई अड्डे विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें बिहार में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे, पटना हवाई अड्डे का विस्तार और बिहटा में ब्राउनफील्ड हवाई अड्डे का विकास शामिल है। इसका उद्देश्य हवाई यात्रा और क्षेत्रीय विकास की भविष्य की मांग को पूरा करना है। सरकार का मानना है कि उड़ान नीति भर नहीं है। यह एक परिवर्तनकारी आंदोलन है। उड़ान ने भारत और इंडिया के बीच दूरी को समाप्त कर लाखों लोगों के लिए सस्ती हवाई यात्रा के सपने को साकार किया है। इसने न केवल दूरदराज के क्षेत्रों को राष्ट्रीय विमानन मानचित्र पर ला दिया है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ पूरे देश में रोजगार का सृजन किया है।

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