नवादा, 16 जनवरी (हि.स.)।नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर गुरुवार से व्यवहार न्यायालय के गेट के पास धरना देकर अनिश्चित हड़ताल पर डट चुके हैं । यह अनिश्चितकालीन हड़ताल बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर किया जा रहा है।
इस हड़ताल में व्यवहार न्यायालय के अंशु लिपिक, लिपिक, बयान लेखक, कार्यालय परिचारी, ड्राइवर, चौकीदार भी समर्थन कर रहे हैं। कर्मचारियों की चार सूत्री मांग में वेतन विसंगति को जल्द दूर करने, सभी तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की शीघ्र पदोन्नति, विशेष न्यायिक कैडर लागू करने की मांग सहित शत-प्रतिशत अनुकंपा पर बहाली शामिल है।
अब हड़ताल जरुरी है, का स्लोगन देते हुए कहा कि हक लेना जरूरी है। सत्याग्रह हमारी मजबूरी है..अन्याय का अब अंत करो..हम सबका हक बहाल करो की आवाज बुलंद करते हुए पदोन्नति, वेतन, अनुकंपा, आदि मांग को सरकार से स्वीकार करने की मांग की है।
क्या है मामला
व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों का कहना था कि बिहार सरकार ने 20 दिसंबर को एक पत्र निकाला था, जिसमें कहा गया है कि न्यायालय के कर्मियों में वेतन विसंगति नहीं है जबकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि व्यवहार न्यायालय के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जो योग्य हैं, ठीक से काम कर रहे हैं, उनका वेतन स्नातक स्तर के कर्मचारी के अनुरूप किया जाए।
न्यायिक कर्मचारी संघ के सचिव रत्नानंद झा ने कहा कि न्यायालय कर्मचारियों को आजादी के बाद से आज तक प्रोन्नति नहीं दिया गया और न ही द्वितीय न्यायिक वेतन आयोग में भी सभी न्यायिक कर्मचारियों को वंचित रखा गया हैं। व्यवहार न्यायालय कर्मचारी के अनुकंपा पर नियुक्ति अब तक दशकों से लंबित और पेंडिंग रखा गया है।
संघ के अध्यक्ष सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि वर्ष 1985 से न्यायालय कर्मचारी का वेतन विसंगति का मुद्दा का निर्धारण नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय पटना द्वारा बिहार सरकार को बार-बार न्यायिक आदेश एवं प्रशासनिक आदेश जारी किया गया हैं।
बता दें कि न्यायालय कर्मचारी के अनिश्चितकालीन हड़ताल से न्यायिक सेवा प्रभावित होंगे। कर्मचारियों के हड़ताल से लेखागार से कागजात नहीं मिलने पर रिमांड, रिलीज समेत न्यायालय में अन्य कार्य प्रभावित होंगे। कर्मचारियों की हड़ताल से न्यायिक सेवा पूर्णता प्रभावित होगी। इससे लोगों की परेशानी बढ़ेगी। न्यायालय में कार्य प्रभावित होने से आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी और जेल भेजने की प्रक्रिया प्रभावित होगी।