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मप्र के पुलिस थानों में हो सकेगा मंदिर का निर्णाण, हाई कोर्ट ने चुनौती देने वाली याचिका को किया खारिज

जबलपुर/भोपाल, 9 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जबलपुर सहित प्रदेश के पुलिस थाना परिसरों में हनुमान मंदिर के निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही प्रदेश के थाना परिसरों में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैथ की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने साफ किया कि पूर्व की एक जनहित याचिका के आदेश का पालन न होने के विरुद्ध विचाराधीन अवमानना याचिका के साथ इस बिंदु को शामिल कर विरोध किया जा सकता है। पृथक से सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।

दरअसल, जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव ने यह याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर थानों में अवैध धार्मिक स्थल बना रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए उक्त याचिका को खारिज कर दिया।

इससे पहले कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने 2009 में इसी विषय पर पहले ही आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक संपत्ति पर किसी प्रकार का धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इन धार्मिक स्थलों को हटाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि एक ही मुद्दे पर पुनः याचिका क्यों लगाई गई। मामले पर हाईकोर्ट में 4 नवंबर, 19 नवंबर और 16 दिसंबर को भी सुनवाई हुई थी।

इस याचिका पर बार काउंसिल के अधिवक्ता दिनेश अग्रवाल ने भी हस्तक्षेप किया और बताया कि वर्तमान में थानों से मंदिर हटाने वाली याचिका में जो वकील है, वह 2009 की याचिका में याचिकाकर्ता थे, उसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। ऐसी स्थिति में अब याचिकाकर्ता चाहे तो कानूनी उपचार का उपयोग करना चाहे तो कर सकता है। फिलहाल अब मंदिर में बने थाने यथावत रहेंगे।

अधिवक्ता ओपी यादव ने जबलपुर शहर के सिविल लाइन, लार्डगंज, मदन महल और विजय नगर थानों में बने मंदिरों की तस्वीरें हाई कोर्ट में पेश की थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर अपनी मर्जी से मंदिर बना रहे हैं, जो अवैध हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं। करीब डेढ़ माह पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट केने प्रदेश के मुख्य सचिव (सीएस) अनुराग जैन और डीजीपी कैलाश मकवाना को नोटिस देकर जवाब मांगा था। नोटिस गृह विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग को भी दिए गए थे।

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