देवकली मंदिर: इतिहास, रहस्य और रानी देवकला की अमर कथा का पवित्र संगम
औरैया, 27 जुलाई (हि.स.)।
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से मात्र 4 किलोमीटर दूर बीहड़ क्षेत्र में देवकली मंदिर स्थित है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास और रहस्य का अद्भुत संगम है। यमुना नदी के किनारे बसा यह सिद्धपीठ प्राचीन कथाओं, पौराणिक घटनाओं और लोक विश्वासों से समृद्ध है।
पौराणिक पृष्ठभूमि: कर्ण से कृष्णदेव तक
मान्यता है कि यह क्षेत्र कर्ण की राजधानी करनखेड़ा से लेकर महाराज कृष्णदेव द्वारा 202 ईस्वी में निर्मित महाकालेश्वर मंदिर तक जुड़ा हुआ है। यही मंदिर आगे चलकर देवकली मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
रानी देवकला और रहस्यमयी शिवलिंग
संवत 1210 ईस्वी में राजा विशोक देव का विवाह कन्नौज की राजकुमारी देवकला से हुआ। गंगा स्नान से लौटते समय उन्होंने इस स्थल पर रात्रि विश्राम किया, जहाँ रानी को देवी के दर्शन हुए और आंगन से प्रकट हुआ एक रहस्यमयी शिवलिंग। यह स्थान उनके लिए विशेष बन गया।
देवकली नाम की उत्पत्ति
राजा ने संवत 1265 ईस्वी में भव्य मंदिर का निर्माण कराया और रानी की स्मृति में इसका नाम देवकली मंदिर रखा। तब से यह स्थल श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक बन गया।
शेरशाह सूरी और श्राप कथा
इतिहास बताता है कि शेरशाह सूरी ने इस मंदिर को ध्वस्त किया था, जिसके बाद राजा की आत्मा के श्राप से वह अंधा हो गया। प्रायश्चित स्वरूप उसने यमुना किनारे एक मंदिर बनवाया और राम, लक्ष्मण, सीता की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित कीं।
आस्था और अद्भुत मान्यताएं
आज भी सावन के सोमवार को हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आकर महाकालेश्वर का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर की स्थापना से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं, इसे शोधकर्ताओं के लिए भी खास बनाती हैं।