एकात्म मानव दर्शन से जुड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री के विचार
ग्वालियर, 11 अगस्त। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन वह सूत्र है जो भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को जोड़ता है। कोविड काल में भारत ने यह साबित किया कि हम “जियो और जीने दो” के आदर्शों वाले हैं। यह दर्शन पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अमूल्य विरासत है, जो देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
एकात्म मानव दर्शन की सार्थकता
मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में आयोजित एकात्म मानव दर्शन हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह दर्शन व्यक्ति, प्रकृति और समाज को जोड़ने वाली एक सूत्रधार की तरह है। इस दर्शन का मूल भाव है “जो दूसरों की पीड़ा को अपनी समझे”।
प्रमुख वक्ताओं के विचार
डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने युवाओं को पं. दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा और एकात्म मानव दर्शन का महत्व समझाया। मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने इसे शांति और संतुलन का मार्ग बताया। पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने इस दर्शन के व्यापक प्रभाव पर प्रकाश डाला।
समारोह की विशेष बातें
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को याद किया। मुख्यमंत्री ने 1964 के अभ्यास वर्ग के सदस्यों और उनके परिजनों को सम्मानित किया, जहां एकात्म मानव दर्शन की नींव पड़ी थी।