पटियाला, 04 अप्रैल (हि.स.)। नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनएसएनआईएस) में हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “हरमोनाइजिंग मूवमेंट: योग और खेल विज्ञान का समन्वय” में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि खिलाड़ियों में नींद की कमी और हर्बल सप्लीमेंट्स का लापरवाह उपयोग उनकी सेहत और प्रदर्शन पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतबीर सिंह खालसा ने कहा कि योग नींद को बेहतर बनाता है, जिससे मोटापा, मधुमेह, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा, “नींद मानसिक और शारीरिक पुनर्प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसलिए खेल शिक्षा में नींद के महत्व को शामिल करना चाहिए।”
पूर्व भारतीय महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल ने भी इस बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “योग आपके मन को नियंत्रित करने में मदद करता है। खेल के दबाव वाले पलों में यह आत्मसंयम बनाए रखने में सहायक होता है। आधुनिक खेलों में मानसिक नियंत्रण, शारीरिक कौशल जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है।”
हर्बल सप्लीमेंट्स के उपयोग में बरतें सतर्कता
सम्मेलन में हर्बल सप्लीमेंट्स के दुरुपयोग पर भी जोरदार चर्चा हुई। खेल प्राधिकरण (साईं) के एथलेटिक्स हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर डॉ. वज़ीर सिंह फोगाट ने कहा कि खिलाड़ी ताकत, सहनशक्ति, इम्युनिटी और रिकवरी बढ़ाने के लिए हर्बल सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं, जिन्हें अक्सर “प्राकृतिक और सुरक्षित” माना जाता है।
हालांकि, खेल मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के बीच राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) द्वारा कुल 186 डोपिंग उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे अधिक मामले एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग और पावरलिफ्टिंग में पाए गए।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. शिवकुमार हारती (एम्स, नई दिल्ली) ने कहा कि हर्बल सप्लीमेंट्स का सेवन खिलाड़ी की प्रशिक्षण तीव्रता, शारीरिक स्थिति और व्यक्तिगत लक्ष्य के अनुसार ही होना चाहिए।
खेल पोषण विशेषज्ञ डॉ. वाणी भूषणम गोला ने चेताया कि बिना विशेषज्ञ सलाह के हर्बल सप्लीमेंट्स का सेवन विषाक्तता या हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा, “सप्लीमेंट्स का सेवन संतुलित आहार और रिकवरी प्लान का पूरक होना चाहिए, न कि उसका विकल्प।”
पूर्व डीन, खेल विज्ञान, एनएसएनआईएस पटियाला, डॉ. सरला ने नकली सप्लीमेंट्स की बढ़ती समस्या को रेखांकित किया और इनके लिए कड़े नियामक तंत्र की आवश्यकता जताई, ताकि गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सभी विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों और कोचों को हर्बल सप्लीमेंट्स के वैज्ञानिक और प्रमाण आधारित उपयोग की शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही यह भी कहा कि खिलाड़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शोध किए जाने चाहिए, ताकि इन सप्लीमेंट्स की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण सामने आ सकें।