📍 सोनीपत, 6 जून (हि.स.) — बिजली ग्रिड लाइन परियोजना से प्रभावित सोनीपत के किसानों ने न्यायपूर्ण मुआवजे की मांग को लेकर शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय का रुख किया। भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा के नेतृत्व में पहुंचे किसानों ने ज्ञापन सौंपकर बाजार दर के अनुसार मुआवजा तय करने और एक स्वतंत्र वैल्यूएशन कमेटी के गठन की मांग की।
🗣️ क्या कहा मोर्चा अध्यक्ष ने?
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतेंद्र लोहचब ने बताया कि यह आंदोलन 13 सितंबर 2023 से औचंदी बॉर्डर पर शुरू हुआ था। 11 फरवरी 2024 को हुई बड़ी पंचायत में यह फैसला लिया गया कि जब तक किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, ग्रिड लाइन का काम रोका जाएगा।
📆 घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण:
- मई 2024: किसानों की मुलाकात हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से।
- 14 जून 2024: केंद्र ने नई मुआवजा नीति जारी की — 200% टावर बेस और 30% रॉ कॉरिडोर के लिए मुआवजा तय।
- किसानों की आपत्ति: यह दरें अपर्याप्त हैं और वास्तविक बाजार मूल्य पर आधारित नहीं।
- 10 जुलाई 2024: हरियाणा सरकार द्वारा केंद्र की पुरानी नीति को लागू किए जाने से असंतोष और बढ़ा।
- 2 फरवरी 2025: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने औचंदी गांव में आकर किसानों को नई नीति लाने का आश्वासन दिया।
- 2 जून 2025: हरियाणा सरकार ने केंद्र की नई गाइडलाइन के आधार पर मुआवजा नीति लागू की।
📢 किसानों की नई मांगें:
- वास्तविक बाजार दरों पर आधारित मुआवजा तय हो।
- इसके लिए एक वैल्यूअर कमेटी बनाई जाए।
- इस कमेटी में किसानों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए।
- मोर्चा की ओर से सत्येंद्र लोहचब और उमेश दहिया को समिति में शामिल करने का प्रस्ताव।
🔎 निष्कर्ष:
किसानों का साफ कहना है कि वे केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी मुआवजा नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं। वे भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन फिर से तेज हो सकता है।
👉 यह मुद्दा अब नीति-निर्माण और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही की कसौटी पर खड़ा हो गया है। प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करे और संवाद के माध्यम से समाधान निकाले।