गुरुग्राम हत्याकांड: राधिका यादव की त्रासदी
10 जुलाई 2025 को गुरुग्राम के सुशांत लोक, सेक्टर 57 में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई।
राधिका यादव, एक 25 साल की स्टेट-लेवल टेनिस खिलाड़ी, जो अपनी टेनिस अकादमी चला रही थी,
उनके पिता दीपक यादव (49) ने गोली मारकर हत्या कर दी।
घटना का विवरण:
- सुबह 10:30 बजे, राधिका किचन में खाना बना रही थीं |
- उनके पिता ने अपनी लाइसेंड .32-बोर रिवॉल्वर से उन पर पांच गोलियां दागीं, जिनमें से तीन उनकी कमर में लगीं।
- राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने पुलिस को बताया कि वह घर में थे जब उन्हें गोली की आवाज सुनाई दी।
- राधिका को उनके चाचा और चचेरे भाई पीयूष ने एशिया मॉरिंगो अस्पताल, सेक्टर 56 ले गए |
- जहां उन्हें मृत घोषित किया गया।
- दीपक यादव ने हत्या के बाद आत्मसमर्पण किया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
हत्या का कारण:
- पुलिस के अनुसार, दीपक को समाज के ताने सुनने पड़ रहे थे
कि वह अपनी बेटी की कमाई पर जी रहा है।
- राधिका ने कंधे की चोट के बाद टेनिस अकादमी शुरू की थी, जो सफल थी।
- दीपक ने उसे बंद करने को कहा, लेकिन राधिका ने मना कर दिया।
- X पर @htTweets ने लिखा, “Gurugram man kills daughter over her tennis academy’s success,” जो इस त्रासदी की गंभीरता को दर्शाता है।
सामाजिक ताने:
- दीपक को पड़ोसियों और समाज से ताने मिल रहे थे कि वह “बेटी की कमाई पर जी रहा है।” यह उनकी मर्दानगी और आत्मसम्मान पर चोट था, जिसने उसे इस घिनौने कदम तक पहुंचाया।
आखिर क्यों एक बेटी की सफलता उसके पिता के लिए बोझ बन गई?
आखिर क्यों: बेटी की उड़ान और समाज का बोझ
राधिका यादव की हत्या केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज की उस पितृसत्तात्मक मानसिकता का प्रतीक है
जो बेटियों को उनके सपनों के लिए उड़ने से रोकती है।
पितृसत्तात्मक मानसिकता:
- समाज में पुरुष को परिवार का “प्रमुख” और “कमाने वाला” माना जाता है। राधिका की सफलता ने दीपक के इस पारंपरिक रोल को चुनौती दी।
- दीपक को समाज के ताने इसलिए लगे क्योंकि उनकी बेटी आर्थिक रूप से स्वतंत्र थी, जो पितृसत्ता के लिए अस्वीकार्य है।
सामाजिक दबाव और शर्म:
- समाज अक्सर बेटियों की उपलब्धियों को परिवार के “सम्मान” से जोड़ता है। राधिका का रील बनाना और अकादमी चलाना उनके पिता को “कमजोर” दिखा रहा था।
- X पर @ians_india ने लिखा, “Mocked for living off his daughter’s earnings, man killed daughter,” जो सामाजिक तानों के दबाव को उजागर करता है।
बेटी की स्वतंत्रता पर नियंत्रण:
- राधिका ने अपनी अकादमी बंद करने से इनकार किया, जो उनकी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था। यह उनके पिता के नियंत्रण को चुनौती थी।
- यह घटना उस मानसिकता को दर्शाती है जो बेटियों को उनके सपनों के लिए “पर काटने” की कोशिश करती है।
क्या एक बेटी का उड़ना वाकई परिवार के लिए इतना बड़ा खतरा है?