हरिद्वार, 2 जून (हि.स.)। जनपद के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फॉर्म-नॉन फॉर्म),ग्राम्य विकास समिति तथा ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना, ग्रामीण उद्यमों को गति देकर महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है दीपा की, जो हरिद्वार के मिस्सरपुर गांव की निवासी हैं।
दीपा देवी, भागीरथी स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, जिसका गठन 5 जुलाई, 2022 को हुआ था। वह रिद्धि-सिद्धि ग्राम संगठन और स्वागत सीएलएफ से भी जुड़ी हुई हैं। पहले, दीपा छोटे स्तर पर सिलाई का काम करती थीं, जो उनके परिवार की आय का एकमात्र साधन था। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत सामान्य थी और उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की टीम ने जब दीपा के घर पर भ्रमण किया, तो उन्होंने उनकी स्थिति और सिलाई उद्यम को बड़े स्तर पर ले जाने की उनकी इच्छा को समझा। परियोजना ने दीपा को 57 हजार की गतिविधि लागत में से 35 हजार ब्याज मुक्त ऋण, दो वर्षों के लिए दिया। दीपा ने स्वयं के बचत से 7 हजार का अंशदान किया। समूह और संगठन से इनके द्वारा 15 हजार की राशि प्राप्त हुई। इस वित्तीय सहायता से दीपा अपने सिलाई के काम को बड़े पैमाने पर करने में सक्षम हो पाईं।
आज, दीपा बड़े स्तर पर सिलाई का काम कर रही हैं और प्रति माह 15 हजार की आय अर्जित कर रही हैं। इस आय से वह अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर पा रही हैं। दीपा की कहानी ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के महत्व को दर्शाती है, जो न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करती है बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करती है।