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हरिशयनी एकादशी पर आस्था की गूंज, चातुर्मास व्रत का शुभारंभ!

हरिशयनी एकादशी पर गूंजा आस्था का स्वर, चातुर्मास व्रत का शुभारंभ

हरिशयनी एकादशी और चातुर्मास व्रत के पावन अवसर पर काशीवासियों ने गंगा में स्नान कर आस्था जताई। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।

चार महीने मांगलिक कार्यों पर रोक

चातुर्मास के इन चार महीनों में विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं होते। यह काल आत्म-संयम और भक्ति का माना गया है।

संत करते हैं तप और जप

सनातन धर्म में चातुर्मास का समय साधकों के लिए अत्यंत शुभ होता है। संत आश्रमों में रुककर विष्णुसहस्रनाम, चालीसा और मंत्रों का पाठ करते हैं।

गृहस्थों का संयमित जीवन

गृहस्थजन इस काल में पत्तेदार सब्जियां, दही, दूध और बैंगन जैसे खाद्य पदार्थों का त्याग करते हैं। भूमि पर शयन और एक बार सात्विक भोजन व्रत का भाग है।

शिव करते हैं सृष्टि का संचालन

विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, इसलिए सृष्टि का संचालन भगवान शिव संभालते हैं। इसीलिए चातुर्मास शिव भक्ति का भी विशेष काल है।

आत्म-चिंतन और पुण्य का समय

यह समय रामायण, भगवद्गीता का पाठ, सेवा और दान जैसे कर्मों से आत्मिक विकास का श्रेष्ठ अवसर है। जीवन को सात्विक और अनुशासित बनाने की यह सनातनी परंपरा है।

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