चंडीगढ़, 05 जुलाई — हरियाणा सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए शराब लाइसेंस नीलामी से ₹12,615 करोड़ का भारी-भरकम राजस्व अर्जित किया है। यह न केवल एक नया रिकॉर्ड है, बल्कि सरकार के राजस्व सुधार अभियान की एक बड़ी सफलता भी मानी जा रही है।
📊 नीलामी के आँकड़े
- कुल ज़ोन: 1,081
- जारी किए गए रिटेल वेंड लाइसेंस: 2,150+
- कुल प्राप्त राजस्व: ₹12,615 करोड़
राज्य भर में शराब की बिक्री को लेकर नई एक्साइज पॉलिसी के तहत इस बार की नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत मानी गई है।
🛡️ नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता
नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटली ट्रैक किया गया और बोली की प्रक्रिया को ऑनलाइन मोड में रखा गया। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई और राज्य सरकार को उचित मूल्य पर अधिक राजस्व प्राप्त हुआ।
📍 राजस्व का उपयोग किस लिए होगा?
राज्य सरकार के अनुसार इस राजस्व का इस्तेमाल किया जाएगा:
- स्वास्थ्य और शिक्षा परियोजनाओं में निवेश
- ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण
- नशा नियंत्रण और जागरूकता अभियानों के लिए फंडिंग
🧾 शराब नीति पर सरकार का पक्ष
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ हमारी प्राथमिकता शराब बिक्री को नियंत्रित और मॉनिटर करना है। हर रिटेल वेंड के लिए सख्त शर्तें लागू की गई हैं।”
🔍 नीलामी में बढ़ती रुचि क्यों?
- उद्योगों और निवेशकों के लिए अब यह क्षेत्र ज्यादा व्यवस्थित हो चुका है।
- पिछले वर्षों में रेवेन्यू में लगातार वृद्धि ने इस सेक्टर को आकर्षक बना दिया है।
- क्लस्टर बेस्ड ज़ोनिंग सिस्टम ने बोली को आसान और पारदर्शी बनाया।
📌 निष्कर्ष
हरियाणा की सरकार ने शराब लाइसेंस नीलामी से सिर्फ राजस्व ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और फाइनेंशियल मैनेजमेंट में भी एक मिसाल पेश की है। आने वाले वर्षों में यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
🔎 क्या आपकी जानकारी में था कि एक राज्य सरकार शराब लाइसेंस नीलामी से ₹12,000 करोड़ से ज्यादा कमा सकती है?