नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.) — केंद्र सरकार द्वारा IDBI बैंक के रणनीतिक निजीकरण की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर बैंक की 60.72% हिस्सेदारी बेचने जा रहे हैं और यह प्रक्रिया अक्टूबर 2025 तक पूरी हो सकती है।
📑 क्या है डील का स्वरूप?
- सरकार: 30.48% हिस्सेदारी बेचेगी
- LIC: 30.24% हिस्सेदारी बेचेगी
- कुल मिलाकर 60.72% शेयर रणनीतिक निवेशकों को दिए जाएंगे।
💼 बिक्री प्रक्रिया की स्थिति:
- शेयर खरीद समझौते (Share Purchase Agreement) पर चर्चा पूरी हो चुकी है।
- जल्द ही इसे वित्तीय बोलीदाताओं को सौंपा जाएगा।
- ईओआई (रुचि पत्र) अक्टूबर 2022 में ही मंगाए जा चुके थे।
- तीन साल से लंबित प्रक्रिया अब अंतिम रूप ले रही है।
🏦 आईडीबीआई बैंक का संक्षिप्त इतिहास:
- स्थापना: 1 जुलाई, 1964
- उद्देश्य: औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन
- श्रेणी: ‘अन्य क्षेत्र के बैंक’ (RBI वर्गीकरण)
- 2004 से वाणिज्यिक बैंकिंग सेवाएं शुरू कीं
🔎 क्या होगा असर?
- बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
- सरकारी हिस्सेदारी घटने से परिचालन अधिक व्यावसायिक होगा
- निजी निवेशकों के आने से सेवा गुणवत्ता और नवाचार की संभावना
🧾 निष्कर्ष:
IDBI बैंक की बिक्री केंद्र सरकार के रणनीतिक विनिवेश एजेंडे का हिस्सा है। यह डील यदि अक्टूबर तक पूरी हो जाती है, तो यह मोदी सरकार की एक प्रमुख प्राइवेटाइजेशन उपलब्धि मानी जाएगी।