बीकानेर, 19 फ़रवरी (हि.स.)। भारत-मिस्र स्पेशल फोर्सेज अभ्यास सायक्लाेन का तीसरा संस्करण राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा है। यह 14 दिवसीय सैन्य अभ्यास 23 फरवरी को समाप्त होगा।
डिफेंस पीआरओ कर्नल अमिताभ शर्मा के अनुसार यह उच्च-तीव्रता वाला अभ्यास भारत और मिस्र के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है, जो सैन्य सहयोग को मजबूत करता है और दोनों देशों की विशिष्ट बलों के बीच पारस्परिक कार्यकुशलता को बढ़ाता है।
“कंटिजेंट्स ट्रेन हार्ड” पर केंद्रित अभ्यास में, दोनों देशों की सेनाएँ कठिन युद्ध प्रशिक्षण और सामरिक अभ्यास कर रही हैं, जिसका उद्देश्य जॉइंट ऑपरेशन क्षमताओं को मजबूत करना है। इस अभ्यास का प्रमुख लक्ष्य पारस्परिक कार्यकुशलता को बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना और स्पेशल फोर्सेज के अभियानों में युद्धकला, तकनीकों और प्रक्रियाओं (टीटीपीज) की आपसी समझ को बढ़ाना है।
इस अभ्यास में क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) ड्रिल, सर्वाइवल तकनीक, कॉम्बैट मेडिकल स्किल्स और डिमोलिशन ट्रेनिंग का जॉइंट प्रशिक्षण दिया गया। इन उच्च तीव्रता वाले अभ्यासों का उद्देश्य सैनिकों की क्षमता को बढ़ाना था, ताकि वे रेगिस्तानी और अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में जटिल परिस्थितियों में
प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें।
डिफेंस के मुताबिक प्रशिक्षण सत्रों में तेजी, सहनशक्ति और सटीकता पर ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि दोनों दल वास्तविक युद्ध स्थितियों में एकजुट होकर बिना किसी रुकावट के काम कर सकें।
क्लोज़ क्वार्टर बैटल प्रशिक्षण महत्वपूर्ण यह है कि यह सैनिकों की क्षमता को बढ़ाता है, ताकि वे सीमित और शहरी वातावरण में कम रिएक्शन समय में दुश्मनों से निपट सकें। सर्वाइवल प्रशिक्षण मॉड्यूल कठोर परिस्थितियों में ऑपरेशन जारी रखने और शत्रुतापूर्ण वातावरण में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक कौशल हैं। युद्ध क्षेत्र में आकस्मिक दुर्घटना प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कॉम्बैट मेडिकल कौशल प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है, जबकि डेमोलिशन प्रशिक्षण सैनिकों को दुश्मन की किलेबंदी को तोड़ने और निष्क्रिय करने के लिए तैयार करता है।
डिफेंस पीआरओ के अनुसार सायक्लाेन-3, 48 घंटे के वेलिडेशन फेज के साथ समाप्त होगा, जिसमें दोनों दल जॉइंट रूप से आतंकवाद विरोधी (सीटी) अभियान करेंगे। अंतिम चरण का उद्देश्य सैनिकों की क्षमता को उच्च चुनौतीपूर्ण माहौल में रणनीतिक योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने के लिए परखा जाएगा। इस चरण में सैनिक जॉइंट सामरिक ड्रिल्स, काल्पनिक खतरों को निष्क्रिय और अपने सीखे हुए कौशल को रियल ऑपरेशनल माहौल में लागू करेंगे।
वेलिडेशन अभ्यास का उद्देश्य वास्तविक युद्ध स्थितियों को सामने लाना है, ताकि सैनिकों की निर्णय लेने और मिशन को पूरा करने की क्षमताओं को निखारा जा सके । अलग-अलग ऑपेऱशनल तरीकों को एकजुट करके, दोनों सैन्य दल उभरते सुरक्षा खतरों के प्रति अपनी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाएंगे।
अभ्यास सायक्लाेन-3, भारत और मिस्र के बीच निरंतर रक्षा सहयोग और आतंकवाद विरोधी अभियान तथा क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति साझी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस जॉइंट सैन्य अभ्यास के दौरान किया गया कड़ा प्रशिक्षण दोनों देशों की स्पेशल फोर्सेज की उच्च स्तर की प्रोफेशनलिज्म क्षमता, दृढ़ता और रणनीतिक तत्परता को दर्शाता है।
भारतीय और मिस्र की स्पेशल फोर्सेज का कठिन प्रशिक्षण असाधारण अनुशासन, टीमवर्क और अनुकूलन क्षमता का प्रदर्शन हैं । उनका ऑपरेशन में उत्कृष्टता के प्रति अडिग समर्पण यह दर्शाता है कि वे चुनौतीपूर्ण वातावरण में जॉइंट ऑपरेशन्स के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जैसे-जैसे यह अभ्यास समाप्ति की ओर बढ़ेगा, सायक्लाेन-3 के दौरान सीखी गई सीख और बनाए गए रिश्ते भविष्य के जॉइंट ऑपरेशन्स के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम आयेंगें, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा प्रयासों में अधिक तालमेल सुनिश्चित करेंगे। सायक्लाेन-3 का सफल आयोजन भारतीय सेना की उत्कृष्टता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और युद्ध तत्परता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा और भारत की सैन्य साझेदारियों में वैश्विक लीडर के रूप में स्थिति को और मजबूत करेगा।