तमिलनाडु की मीडिया में दो राजनीतिक शख्सियतों का हालिया मिलन चर्चा का विषय बन गया है। प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के अध्यक्ष विजय से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की। 10 फरवरी को दोनों नेताओं के बीच लगभग ढाई घंटे की बैठक हुई जिसमें टीवीके के प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल हुए। मुलाकात के दौरान पार्टी के महासचिव एन आनंद और चुनाव रणनीतिकार जॉन अरोकियासामी भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की यह मुलाकात तमिलनाडु के चुनावी परिदृश्य को खासा प्रभावित कर सकती है।
प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भाजपा, जेडी(यू) कांग्रेस, टीएमसी सहित विभिन्न दलों के साथ काम किया है। वे अब चेन्नई पहुंच चुके हैं और कथित तौर पर तमिल सुपरस्टार विजय से हाथ मिला रहे हैं, जो अपनी पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के साथ राजनीति में उतरने वाले हैं। विजय का लक्ष्य अगले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ डीएमके का दमदारी से मुकाबला करना है। प्रशांत किशोर की विशेषज्ञता, विजय के लिए चुनावी रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
तमिल के मशहूर अभिनेता और पार्श्व गायक विजय का असल नाम जोसेफ विजय चंद्रशेखर है। उन्होंने 2 फरवरी, 2024 को तमिलगा वेट्री कझगम पार्टी की स्थापना की। उसी दिन, विजय ने अपनी राजनीतिक पार्टी के शुभारंभ की घोषणा की और 2026 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने का इरादा जताया। जिसके बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि प्रशांत किशोर 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए विजय को रणनीतिक सलाह दे सकते हैं।
तमिलनाडु की राजनीति में खलबली मचाने लक्ष्य से पहुंचे प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब कांग्रेस और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन सहित विभिन्न राजनेताओं के लिए विजयी अभियान तैयार करने में उनके सफल ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इसबार भी कुछ अलट-फेर करने की संभावना से किसी को इनकार नहीं है। विजय के साथ उनकी बैठक ने राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर दिलचस्पी पैदा कर दी है। बहुत सारे लोगों को इस बात का इंतजार है जब विजय की तरफ से पीके के सहयोग लेने की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पीके और विजय ने तमिलनाडु की चुनावी गतिशीलता पर गहन चर्चा की, जिसमें 2026 के विधानसभा चुनाव में टीवीके के लिए आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया। पीके ने देशभर में विभिन्न दलों के लिए विजयी चुनावी रणनीति तैयार करने से प्राप्त अपनी विशेषज्ञता और अंतर्दृष्टि साझा की। यह संभावित सहयोग 2022 से ही चल रहा है, जब विजय ने राजनीतिक रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए पीके से मुलाकात की थी।
एक सेलिब्रिटी के रूप में विजय को तमिलनाडु में काफी लोकप्रियता हासिल है और बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक हैं। अब राजनीति में उनके प्रवेश ने लोगों में खासी दिलचस्पी पैदा की है। कई लोग उन्हें अभी से राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में संभावित गेम-चेंजर के रूप में देख रहे हैं। अन्य राजनेताओं की तुलना में विजय की सार्वजनिक स्थिति को ज्यादा मजबूत माना जा सकता है। वह पारंपरिक राजनेता नहीं हैं बल्कि एक सेलिब्रिटी से राजनेता बने हैं। इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं। एक ओर, उनकी सेलिब्रिटी स्थिति उन्हें तुरंत प्रदेश के आम लोगों तक कनेक्ट कर सकती है और यह चुनावी मुहिम में दूसरों के ऊपर बढ़त दिला सकती है। वहीं, उनके पास राजनीतिक अनुभव की कमी है, जो उनके समक्ष राजनीतिक चुनौतियां बढ़ा सकती है। वे उन चुनौतियों का किस तरह मुकाबला करते हैं, इसपर सभी की निगाहें होंगी।
वैसे विजय की राजनीतिक विचारधारा वामपंथी प्रतीत होती है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और तमिल राष्ट्रवाद के महत्व पर जोर दिया है। यह सभी मुद्दे मतदाताओं को पसंद आ सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनका मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से मोहभंग हो चुका है। बहरहाल, तमिलनाडु के चुनावी परिदृश्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि विजय और पीके के इस बैठक का दूरगामी प्रभाव हो सकता है। साथ ही साथ रणनीतिकार पीके की विजय के साथ की गई बैठक राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।