📍 झांसी, 5 जून (हि.स.) — देश में पहली बार ‘जल कथा’ का साप्ताहिक आयोजन ललितपुर के मानसरोवर झील के तट पर 5 जून से शुरू हो गया है। जल सहेली फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम जल संरक्षण, धर्म, विज्ञान और परंपरा के समन्वय का एक अद्वितीय प्रयास है। फाउंडेशन के संस्थापक संजय सिंह ने इसे “जल धर्म की पुनर्स्थापना” का प्रयास बताया है।
🕉️ धार्मिक व वैज्ञानिक चेतना का अद्वितीय संगम
जल कथा का शुभारंभ गंगा अवतरण दिवस के दिन हुआ, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि जल केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि एक संस्कार है। कथा में वैदिक, पौराणिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व को रेखांकित किया जाएगा।
🪔 कार्यक्रम की झलकियां (5 जून से 11 जून तक)
- जल कलश यात्रा: आयोजन का आरंभ, लोगों को जल की पवित्रता से जोड़ने के लिए।
- वरुण यज्ञ: जल शुद्धि और पर्यावरण संतुलन हेतु।
- सामूहिक श्रमदान: मानसरोवर झील की सफाई, समुदाय की भागीदारी से।
- संगोष्ठियाँ: जल योद्धाओं, वैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार-विमर्श।
- बाल-सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी: बच्चों को जल संरक्षण से जोड़ने की पहल।
🎙️ विशेष उपस्थिति
इस कथा में गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक महेंद्र बापू भी शामिल होंगे और जल, जंगल और जमीन जैसे विषयों पर प्रभावशाली कथा प्रस्तुत करेंगे।
🌿 जल संस्कृति की पुनर्स्थापना का मिशन
संजय सिंह ने बताया कि जल कथा सर्वधर्म समभाव पर आधारित है और इसका उद्देश्य है — जनमानस को जल संस्कृति, संरक्षण और अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में जागरूक करना। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चेतना का संचार भी है।
👥 महिला नेतृत्व में जन-भागीदारी
इस आयोजन में जल सहेली फाउंडेशन की अध्यक्ष मीरा ठाकुर, मंजू लता, राधा कुशवाहा, दीपा मजूमदार और शिवानी सिंह की भी सक्रिय भूमिका रही।
🌊 यह आयोजन न केवल झीलों और नदियों के संरक्षण का संदेश देगा, बल्कि जल आंदोलन को जनांदोलन बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।