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खो-खो के खेल ने मेरा पूरा जीवन बदल दिया: रामजी कश्यप

नई दिल्ली, 17 जनवरी (हि.स.)। खो-खो विश्व कप में भारतीय पुरुष टीम का शानदार प्रदर्शन जारी है। भूटान के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय ऑलराउंडर रामजी कश्यप ने हिन्दुस्थान समाचार के संवाददाता सुनील दुबे से विशेष बातचीत की। रामजी ने अपने जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा और खो-खो के खेल से जुड़े अनुभव साझा किए। प्रस्तुत हैं इस साक्षात्कार के मुख्य अंश।

प्रश्न: खो-खो में आपकी यात्रा कैसे शुरू हुई?

रामजी कश्यप: मैं महाराष्ट्र के छोटे से गांव बेलापुर से हूं। जब मैं पांचवीं कक्षा में था, तो मेरी दौड़ने की गति बहुत तेज थी। मेरे एक शिक्षक ने मुझसे कहा, “तू बहुत तेज भागता है, खो-खो खेलेगा क्या?” मैंने तुरंत हां कहा और वहीं से मेरी खो-खो की यात्रा शुरू हुई। इसके बाद मैंने मेहनत जारी रखी और अब तक 11 राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेल चुका हूं।

प्रश्न: महाराष्ट्र से निकलकर देश का प्रतिनिधित्व करने तक का सफर कैसा रहा?

रामजी कश्यप: शुरुआती दिनों में यह सफर बेहद मुश्किल था। क्लब स्तर पर खेलते समय मेरे माता-पिता ने मेरा समर्थन नहीं किया। वे चाहते थे कि मैं पढ़ाई करूं और नौकरी तलाशूं, क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मेरे पिताजी बिस्किट के बॉक्स बनाते थे। हालांकि, मेरी बहन और बड़े भाई ने मेरा पूरा साथ दिया। उन्होंने कहा कि घर की जिम्मेदारी वे संभालेंगे और मुझे खेल पर ध्यान देना चाहिए।

जब 2017 में भारतीय टीम में मेरा चयन हुआ, तब मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मैं खेल के लिए जूते खरीद सकूं। मेरे कोच सोमा सर ने मेरी काफी मदद की। उन्होंने यात्रा का किराया दिया और जूते भी दिलवाए। उनके सहयोग के बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता।

प्रश्न: खो-खो के खेल ने आपके जीवन को कैसे बदला?

रामजी कश्यप: जब मेरा चयन नेशनल टीम में हुआ, तब सुविधाएं बहुत कम थीं। लेकिन फिर अल्टीमेट खो-खो लीग आई, जिसमें मैं दो साल तक बेस्ट प्लेयर रहा। इस खेल ने मुझे न केवल पहचान दिलाई, बल्कि रेलवे में नौकरी भी दी। आज मैं भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं और यह सब खो-खो की वजह से ही संभव हो पाया है। इस खेल ने सचमुच मेरा पूरा जीवन बदल दिया है।

प्रश्न: भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं?

रामजी कश्यप: मेरी प्राथमिकता यही है कि मैं देश के लिए और बेहतर प्रदर्शन करूं और खो-खो को दुनिया में और ऊंचाई तक पहुंचाने में योगदान दूं। मैं चाहता हूं कि युवा खिलाड़ी इस खेल को अपनाएं और इसे अपनी पहचान बनाएं।

प्रश्न: आपका संदेश युवा खिलाड़ियों के लिए?

रामजी कश्यप: मेहनत और समर्पण का कोई विकल्प नहीं है। यदि आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, तो किसी भी कठिनाई से पीछे न हटें। खेल से आपका भविष्य जरूर संवर सकता है।

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