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निवेश के सूत्र समझते हैं डॉ. मोहन यादव

डॉ. मयंक चतुर्वेदी निवेश का महत्‍व अर्थ की महत्‍ता के साथ सदियों से रहता आया है, किंतु यह निवेश तभी संभव है जब परस्‍पर के संवाद में गहराई हो, आत्‍मीयता के साथ ही आर्थि‍क लाभ का पक्ष भी दोनों ओर से बराबर जुड़ा हो। यह सूत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अच्छे से समझते हैं। एक व्‍यापारी, उद्योजक और निवेशक अपनी पूंजी के प्रवाह को किसी स्‍थान पर लगा देने के पूर्व वह यह आश्‍वस्‍ती अवश्‍य चाहता है कि जहां वह अपना अर्थ व्‍यय कर रहा है या भविष्‍य की दृष्टि से अपने रुपयों का निवेश कर रहा है, वह हर हाल में न केवल सुरक्षित हो, बल्‍कि सर्व सुविधा सम्‍पन्‍न भी हो, ताकि आगे किसी भी प्रकार की कोई बड़ी परेशानी का सामना न करना पड़े। वैसे संवाद से निरुक्‍त के आचार्य यास्‍क भी याद आते हैं। वास्‍वत में ऋषि यास्क निरुक्त के वे लेखक हैं, जो शब्द व्युत्पत्ति, शब्द वर्गीकरण एवं शब्दार्थ विज्ञान पर एक तकनीकी प्रबन्ध प्रस्‍तुत करते हैं। जिसमें कि उनके द्वारा सबसे अधिक परस्‍पर के संवाद पर जोर दिया गया है। मध्‍य प्रदेश में भी इन दिनों एक संवाद होता देखा जा रहा है। यह संवाद राज्य में रहनेवाले प्रत्‍येक नागरिक के लिए पर्याप्‍त रोजगार हो और वह सुख से अपना जीवन निर्वाह करे, इसके लिए किया जा रहा है। जिसके कि वाहक बने हैं, राज्‍य के प्रमुख होने के नाते डॉ. मोहन यादव । एक मुख्‍यमंत्री के तौर पर नितरोज नवाचार करना एवं आर्थ‍िक समृद्धि के लिए प्रयास करते हुए उन्‍हें देखा जा रहा है। इस दिशा में मध्यप्रदेश के भोपाल में हो रही “इन्वेस्ट मध्यप्रदेश – ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2025” ने निवेशकों, व्यवसायियों और उद्योगों के लिए ‘अनंत संभावनाओं’ की एक दिशा तय कर दी है। इस आयोजन की सफलता इससे भी समझी जा सकती है कि देश के किसी प्रधानमंत्री ने इसके महत्‍व को समझते हुए यहीं रात्रि विश्राम करने के लिए अपना कार्यक्रम बनाया ताकि अधिकतम लोगों से मिलकर मध्‍य प्रदेश की समृद्धि से देश के विकास के लिए जरूरी विमर्श किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले कौन प्रधानमंत्री भोपाल में रुका है, यह याद नहीं आता, बहुत पहले इतिहास में किसी ने स्‍वाधीनता के पश्‍चात यहां अपनी रात व्‍यतीत की होंगी। निश्‍चित ही यह मोहन सरकार की सफलता ही है कि मप्र के विकास की अपार संभावनाओं में वे हर अवसर का भरपूर उपयोग कर लेना चाहते हैं। वस्‍तुत: इस आयोजन के पूर्व समय पर दृष्‍ट‍ि डालें तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश को औद्योगिक हब बनाने के लिए इतने अधिक संकल्पि‍त दिखाई दे रहे हैं कि देश के महानगरों में उद्योगपतियों के साथ इंटरेक्शन, प्रदेश में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और जर्मनी-यूके में निवेश की अपार सफलता के बाद वे विदेशी उद्योजक से संवाद करने के लिए जापान जा पहुंचे थे। वहां उन्‍होंने जापान के टोक्यो, ओसाका और कोबे जैसे प्रमुख शहरों में स्थानीय उद्योगपतियों से म.प्र. में निवेश के संबंध में संवाद करने के साथ ही उनसे यह भी वादा ले लिया था कि आगामी माह में होने जा रही 24 और 25 फरवरी 2025 को भोपाल में आयोजित होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट वे मप्र आ रहे हैं और यहां अपने उद्योग स्‍थापित करने के लिए बड़ा निवेश भी करेंगे। जहां जिस भी देश में मुख्‍यमंत्री गए और वहां के उद्योगपतियों से संवाद किया, वहां कृषि, डेयरी एवं फूड प्रोसेसिंग, फिनटेक, आईटी-आईटीईएस और रोबोटिक्स, फार्मास्युटिकल्स, मेडिकल डिवाइस, इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल, शहरी एवं औद्योगिक बुनियादी ढांचे, एयरोस्पेस और रक्षा, सहित पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित बातचीत इतनी सफल रही है कि यूके, जर्मनी, जापान समेत अनेक देशों से मध्‍य प्रदेश आनेवाले उद्योगपतियों की एक बड़ी संख्‍या है जो यहां आकर अब निवेश के लिए अपने क्षेत्र का निर्धारण करते हुए उद्योग स्‍थापित करेंगे। आज जापान, मध्यप्रदेश का प्रमुख व्यापार और निवेश साझेदार है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-जापान व्यापार सूएसडी 22.85 बिलियन तक पहुंचा, जिसमें मध्यप्रदेश ने एल्यूमिनियम, केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, और वस्त्र जैसे उत्पादों का निर्यात किया। राज्य में ब्रिजस्टोन, पैनासोनिक, सनोह, एनएचके, और कोमात्सू जैसी प्रमुख जापानी कंपनियां सफलतापूर्वक काम कर रही हैं।जापान “इन्वेस्ट मध्यप्रदेश – ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025” में ‘पार्टनर कंट्री’ के रूप में भाग ले रहा है। इसी तरह से जर्मनी पार्टनर कंट्री केरूप में शामिल हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जर्मनी के म्यूनिख दौरे के दौरान सीआईआई और जर्मन इंडियन इनोवेशन कॉरिडोर – सेंट्रल इंडिया के समन्वय से जर्मन निवेशकों को मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया था। समिट में 60 देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी होगी, जिसमें डिपार्टमेंटल समिट, पार्टनर कंट्री सेशन, प्री-बिड सत्र, थीम आधारित सेशन और उद्योगपति एवं निवेशकों के साथ बैठकें शामिल हैं।इसमें भी मोहन सरकार ने एक नवाचार यहां यह किया है कि उसने देश भर के अधिक से अधिक आंत्रप्रेन्योर से सीधा संवाद किया है और अपने इस भव्‍य, दिव्‍य आयोजन में 10,000 से ज्यादा आंत्रप्रेन्योर और लीडर्स को एक साथ आमंत्रित किया। ताकि वे अपने लिए मध्‍य प्रदेश में संवाभनाएं तलाश सके। वैसे डॉ. मोहन यादव आर्थ‍िक विकास के लिए एक बड़ा कार्य इंडस्ट्रियल सेक्टर पीथमपुर, इंदौर, देवास, उज्जैन और धार को मिलाकर एक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने का है, जोकि उनकी एक बड़ी परियोजना है। यह एरिया इतना व्‍यापक है कि इसमें मोहन सरकार करीब 10000 किलोमीटर में नई इंडस्ट्रीज लगाने जा रही है। अर्थात् रोजगार के इतने अवसर वह राज्‍य में पैदा कर देना चाहती है कि न सिर्फ मध्‍य प्रदेश के बल्‍कि दूसरे कई राज्‍यों को मप्र भविष्‍य में पर्याप्‍त रोजगार उपलब्‍ध कराने वाले राज्‍य में रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। कहना होगा कि मप्र में जो यह ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट हो रही है, इसके माध्‍यम से दुनिया भर के निवेशक मध्य प्रदेश की क्षमता को देख और समझ रहे हैं। इससे राज्य में विकास को तो हर क्षेत्र में गति मिलेगी ही साथ ही पर्याप्‍त लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलने जा रहे हैं। आज मुख्‍यमंत्री जिस तरह से सीधे सभी से संवाद कर रहे हैं, उसे देखकर यह अवश्‍य लगने लगा है कि मध्‍य प्रदेश आनेवाले समय में इतनी अधिक गति पकड़ेगा कि देश का कोई अन्‍य राज्‍य उसकी गति को शायद ही पकड़ पाए। ऐसे में मध्‍य प्रदेश बहुत तेजी से विकसित राज्‍य की श्रेणी में अपने को लाने में अवश्‍य सफल होता दिखाई देता है। निश्‍चित ही इसके पीछे मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव के किए जा रहे अपार संवाद की बड़ी भूमिका स्‍पष्‍ट नजर आती है। (लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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