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महाकुम्भ क्षेत्र में 40 हजार लोटे से हो रहा जलाभिषेक

-12 लाख कलश अभिषेक से मनाई जा रही श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती

महाकुम्भनगर, 22 जनवरी (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग की त्रिवेणी संगम पर आध्यात्म का अद्भुत नजारा देखने का मिल रहा है। कुम्भ क्षेत्र में चारों तरफ तीर्थयात्री एवं भक्त आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिसिंचित हो रहे हैं। चहुंओर, संतों की हर शिविर में वगैर शोरगुल के विशिष्ट व विभिन्न प्रकार के अुनष्ठान किए जा रहे हैं। महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर नंबर 8 में एक विश्व प्रसिद्ध संत की शिविर में 40 हजार लोटे से जलाभिषेक हो रहा है।

यह जलाभिषेक श्री त्रिदंडी स्वामी के शिष्य श्री जियर स्वामी के शिविर में श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। इस अवसर पर 40 हजार लोटे से श्रद्धालु प्रतिदिन अभिषेक कर रहे हैं। उनकी सहस्त्राब्दी जयंती पर कुल 12 लाख कलश अभिषेक होना है। यह अभिषेक 12 फरवरी को सम्पन्न होगा।

यह जानकारी श्री जियर स्वामी जी महाराज के मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने हिन्दुस्थान समाचार प्रति​निधि को दी। उन्होंने बताया कि पूज्य रामानुजाचार्य जी का 1000वीं जयंती वर्ष चल रहा है। इस अवसर पर शिविर में प्रमुख आचार्यों की ओर से विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए 40 हजार लोटे मंगाए गए हैं। जिसमें जल भरकर श्रद्धालु श्रीरामानुजाचार्य जी के स्मृति में ‘श्रीरामानुजाय नम:’ के मंत्रोच्चार से अभिषेक कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि श्री जियर स्वामी जी के शिविर में विश्व शांति के कल्याण के लिए श्रीराम कथा एवं श्रीमद्भागवत कथा की रसधार भी बह रही है। उनके कथा पण्डाल में बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक वर्तमान में जगद्गुरु गोविन्दाचार्य मुक्तेश्वर जी महराज, श्री मारुति किंकर जी, श्री बैकुंठ नाथ स्वामी, श्री चतुर्भुज स्वामी, श्री रंगनाथ स्वामी, श्री उद्धव प्रपन्नाचार्य, डॉ. श्याम सुन्दर परासर, श्री मारुति नन्दन वागीश, श्री आनन्द बिहारी शास्त्री, जगद्गुरू श्री अयोध्या नाथ, श्री ​मुक्तिनाथ स्वामी, श्री माधवाचार्य के मुखारविंद से श्रीराम एवं श्रीमद्भागवत की कथा से श्रद्धालु ईश्वर की भक्ति की लीन में हैं।

पूज्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से कहा कि प्रयागराज महाकुंभ मोक्ष देने का द्वार है। इस महाकुंभ में जो संगम पर स्नान कर लिया समझें उसका जीवन धन्य हो गया। जिसका बहुत बड़ा सौभाग्य होगा, वह इस महाकुंभ में अमृत स्नान में हिस्सा लेगा। उन्होंने कहा कि जीवन में सबसे अनमोल वस्तु मर्यादा है। श्री रामचंद्र को मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए वन-वन भटकना पड़ा। अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ा तब वह श्री राम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बने। अतः किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में कितनी भी बड़ी परेशानी आ जाए विचलित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री लक्ष्मी नारायण भगवान का ध्यान करना चाहिए। भगवान का ध्यान करने से बड़ा से बड़ा कष्ट समाप्त हो हो जाता है।

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