महाकुम्भनगर, 18 फरवरी (हि.स.)। श्रीकांची कामकोटि पीठाधिपति जगद्गुरु शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती महाराज 23 फरवरी को प्रयागराज के महाकुम्भ पहुंचेंगे। वह विशेष अनुष्ठन में हिस्सा लेंगे तथा त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगायेंगे। यह जानकारी हिन्दुस्थान समाचार को कांची कामकोटि पीठ के प्रतिनिधि वी.एस सुब्रमण्यम मणि ने दी।
उन्होंने बताया कि महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-20 में पुल नम्बर 10 के सामने कांची कामकोटि पीठ का शिविर लगा हुआ है। यहां पर मानव कल्याण एवं विश्व शांति के लिए विविध प्रकार के अनुष्ठान चल रहे हैं। शिविर में मां कामाक्षी देवी की मूर्ति स्थापित की गई है। महाकुम्भ के समापन के बाद इस मूर्ति को महाराष्ट्र के पुणे स्थित एक चॉरिटेबिल हॉस्पिटल में प्राण-प्रतिष्ठा कर स्थापित किया जायेगा।
सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि गणपति की हवन के साथ अनुष्ठान शुरू हो गया है। शत्रुओं की बुद्धि को अपने अनुकूल करने के लिए देवताओं के सेनापति कार्तिकेय के नाम से हवन हो चुका है। 18 फरवरी को वेद पारायण,सहस्र पारायण होगा। इसके बाद 19 फरवरी को कामेश्वर महादेव के नाम से कामेश्वरी का हवन होगा। इसके बाद स्वयंवरा पार्वती का हवन,फिर संतान प्राप्ति के लिए हवन होगा। इसके बाद 22 फरवरी को महासुदर्शन हवन,23 फरवरी को विष्णु यज्ञ,गरूड़ मंत्र होगा। 24 फरवरी को महालक्ष्मी होगा। वहीं 25 फरवरी को गो पूजा,अवन्ती होम,मृत्युंजय होम किया जायेगा। 26 फरवरी को आदि रूद्र महायज्ञ, विघ्नेश्वर पूजा व चण्डी पूजा होगी। वी.एस सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि 27 फरवरी को पूर्णाहुति होगी।
उन्होंने कहा कि यह महाकुम्भ वास्तव में अद्भुत व अकल्पनीय है। पहली बार महाकुम्भ में सम्पूर्ण भारत के सनातनियों का समागम हुआ। प्रयागराज के कुम्भ व अर्धकुम्भ में दक्षिण भारत के लोग बहुत कम आते थे, इस बार दक्षिण भारत के सभी राज्यों से लाखों में श्रद्धालु महाकुम्भ आए, त्रिवेणी की संगम में आस्था की डुबकी लगाए और पुण्य के भागी बनें। उन्होंने बताया कि पूज्य शंकराचार्य जी के शिविर में प्रतिदिन ढाई हजार से अधिक श्रद्धालु भोजन एवं जलपान ग्रहण कर रहे हैं।