– हर दिन नया कीर्तिमान रच रहा महाकुम्भ, लोहा मान रही दुनिया- विश्व कल्याण की कामना के साथ सनातन धर्म के वैभव की झलक- वसुधैव कुटुम्बकम् का बोध करा रहा दुनिया के बड़े देशों में शुमार महाकुम्भ
महाकुम्भनगर, 18 फरवरी (हि.स.)। सनातन संस्कृति और त्रिवेणी संगम की महिमा किस तरह फैल रही है, महाकुम्भ में इसकी बानगी देख दुनिया हैरान है। पूरी दुनिया की निगाहें इस समय महाकुम्भ की ओर है और महाकुम्भ के जरिए विश्व में आध्यात्मिक राजधानी के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। महाकुम्भ 2025 ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जो पूरी दुनिया में कभी नहीं बना। आस्था, परम्परा और भव्यता का प्रतीक महाकुम्भ हर दिन विश्व कीर्तिमान रच रहा है। संगत तीरे बसी सनातनी दुनिया इसकी गवाह है।
यह बातें श्रीत्रिदण्डी जी स्वामी के शिष्य श्री जीयर स्वामी ने मंगलवार को एक विशेष बातचीत में हिन्दुस्थान समाचार को बतायी। उन्होंने कहा कि तीर्थराज प्रयाग की धरती न केवल भव्य-दिव्य महाकुम्भ के रूप में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का साक्षात्कार कर रही है, बल्कि संगम नगरी विश्व रिकार्ड्स की भी साक्षी बन रही है। यह अविश्वसनीय, अद्भुत व अकल्पनीय है। उन्होंने कहा कि यह दिव्य-भव्य धार्मिक, सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ अब विश्व फलक पर इतिहास रच चुका है। विश्व का सबसे बड़ा महाकुम्भ देश-दुनिया को धर्म, संस्कृति, सेवा, संवेदना,सद्भावना और वसुधैव कुटुम्बकम् का बोध करा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बाद दुनिया के बड़े देशों में शुमार महाकुम्भ में विश्व कल्याण की कामना के साथ सनातन धर्म के वैभव की झलक दिख रही है। भारत की प्राचीन परंपरा का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। महाकुम्भ की दिव्यता और भव्यता से पूरी दुनिया मंत्रमुग्ध है। मानव जाति के सबसे अधम इंसान से लेकर उत्तम इंसान सभी वहां मौजूद हैं। कल्पना कीजिए कि एक ऐसा विशाल समागम हो जिसमें दुनिया भर से लाखों लोग एक ही धर्म से जुड़े हों, आध्यात्मिक पुनर्जन्म की तलाश में हों और अपने पापों का शुद्धिकरण कर रहे हों। यह कोई सपना नहीं है। यह महाकुम्भ की वास्तविकता है। यह हिन्दू धर्म के सबसे बड़े और विस्मयकारी धार्मिक समागम है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में आंतरिक विज्ञान को जितनी गहराई से समझा गया है ऐसी समझ पृथ्वी पर किसी दूसरी संस्कृति में नहीं मिलती। यही करण है कि इस देश को हमेशा से ही विश्व की ‘आध्यात्मिक राजधानी’ रूप में भी जाना जाता रहा है।
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि सनातन धर्म की विराटता का प्रतीक महाकुम्भ का दिव्य एवं भव्य स्वरूप भारत की लोक आस्था का ‘अमृतकाल’ है। जैसे-जैसे महाकुम्भ अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यह नया इतिहास रच रहा है और संपूर्ण विश्व को भारतीय संस्कृति की अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति से परिचित करा रहा है।
उन्होंने बताया कि महाकुम्भ के सेक्टर-8 स्थित शिविर में विश्व कल्याण के लिए 27 लाख दीप प्रज्वलित किए गए, 12500 शंखों की ध्वनि गूंजी, 500 बालकों का जनेऊ संस्कार संपन्न हुआ और 1260 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। साथ ही 105 कन्याओं का विवाह संपन्न हुआ, श्रीरामानुजाचार्य का 10 लाख कलशों से जलाभिषेक किया गया, 70 महात्माओं को बैकुंठेश्वर के साथ 11,000 कंबल वितरित किए गए और भोजन व जलपान का वितरण किया गया। भोजन वितरण अनवरत चल रहा है। उन्होंने बताया कि महाकुम्भ में 27 लाख दीप प्रज्जवलन, 105 कन्याओं का विवाह और 12500 शंखनाद ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है।