महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी (हि.स.)। विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुम्भ की शुरूआत सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हो गई। महाकुम्भ में पुण्य का भागी बनने और आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करने के लिए देश ही नहीं दुनियाभर से श्रद्धालु और यात्री महाकुम्भ में पहुंचे हैं।
ब्राजील, मारीशस, रूस, अफ्रीका, इटली, जर्मनी, स्पेन और अर्जेंटीना समेत कई देशों के श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे, गंगा मैया की जय के उद्घोष के साथ पवित्र संगम में डुबकी लगाई। संगम में डुबकी लगाकर बाहर निकले श्रद्धालुओं के भाव तो काफी निराले थे, लगा मानों उनका ईश्वर से साक्षात्कार हो गया। श्रद्धालुओं के चेहरे का भाव बता रहा था कि जैसे उन्हें कोई अनमोल चीज मिलने वाली हो।
मोक्ष की तलाश में पहली बार भारत आए ब्राजील के श्रद्धालु फ्रांसिस्को ने कहा कि, ‘मैं पहली बार भारत आया हूं… मैं योग का अभ्यास करता हूं और मोक्ष की तलाश में हूं। यहां आकर मुझे बहुत अद्भुत लग रहा है। भारत दुनिया का आध्यात्मिक दिल है। नदी का पानी ठंडा है, लेकिन स्नान के बाद दिल गर्माहट से भर गया है।’
मारीशस से महाकुंभ में आए कृष्णा नितेन्दे ने कहा, ‘हमारे पूर्वज भारत से ही मारीशस गये थे। अपने देश और संस्कृति से संबंध होना चाहिए। सभी व्यक्तियों को अपनी जमीन और संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए और हमेशा अपने भीतर की यात्रा करने की कोशिश करनी चाहिए। महाकुम्भ में स्नान के बाद दिव्यता की अनुभूति हो रही है।’
स्पेन से आए एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि वे वहां डुबकी लगाकर खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। ‘हमारे यहां स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल से कई दोस्त हैं… हम आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। मैंने पवित्र डुबकी लगाई और इसका भरपूर आनंद लिया; मैं बहुत भाग्यशाली हूं।’
मारीशस से ही महाकुम्भ में स्नान के लिये आये, वासुदेव ने कहा कि, ‘मैं बहुत उत्साहित हूं। मुझे यहां आना हमेशा अच्छा लगता है। पवित्र संगम में स्नान से लगता है जीवन धन्य हो गया।’
दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से प्रयागराज आए एक श्रद्धालु ने कहा, ‘यह बहुत सुंदर है। यहां की सड़कें साफ-सुथरी हैं, लोग बहुत मिलनसार और खुश हैं… हम सनातन धर्म का पालन करते हैं। दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से आए एक अन्य श्रद्धालु निक्की ने कहा, ‘हम बहुत भाग्यशाली है और यहां गंगा नदी पर आकर बहुत धन्य हैं…।’
मारीशस से आये शिवमय ने कहा, ‘तीर्थों की तीर्थ प्रयागराज पहुंचकर सचमुच दिव्यता महसूस हो रही है। पवित्र संगम में स्नान के बाद का अनुभव मैं बयान नहीं कर सकता। हर..हर..गंगे।’
बताते चलें, महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चल चलेगा। यह महाकुंभ 144 सालों बाद आया है और बेहद खास माना जा रहा है। महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन किया जाएगा।