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नर्सिंग ऑफिसर 2023 भर्ती मामला : अंतिम कटऑफ तिथि से पूर्व की तलाक़ डिक्री होने पर विच्छिन्न विवाह श्रेणी में नियुक्ति के लिए पात्र

जोधपुर, 27 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसर- 2023 भर्ती मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अंतिम कटऑफ तिथि से पूर्व की तलाक़ डिक्री होने पर विच्छिन्न विवाह श्रेणी में नियुक्ति के लिए पात्र है। परिवादी के इकलौते पुत्र के जन्म प्रमाण पत्र में पूर्व पति के नाम में भिन्नता/गलती हो जाने पर चिकित्सा विभाग स्थाई नौकरी नहीं दे रहा था। इस पर सुनवाई हुई। अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने प्रार्थीया अनिता चौधरी की ओर से पैरवी की। राजस्थान हाइकोर्ट न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकलपीठ से परिवादी को राहत मिली।

याचिकाकर्ता अनिता चौधरी की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता की शादी वर्ष 2009 में हुई थी और वर्ष 2014 में पुत्र जन्म के बाद ससुराल वालो से तंग परेशान होकर उसने पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में तलाक के लिए आवेदन किया, जो आवेदन वर्ष 2019 में स्वीकार किया जाकर नियमानुसार डिक्री जारी कर दी गई। तत्पश्चात याचिकाकर्ता ने मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर में जीएनएम पद पर अस्थाई नौकरी जॉइन कर ली और आज दिनाँक तक कार्यरत हैं।

चिकित्सा विभाग ने नर्सिंग ऑफिसर के 6981 नियमित पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की, जिसमें याचिकाकर्ता ने विच्छिन्न विवाह (तलाक़ सुदा महिला) वर्ग में आवेदन किया। चयन प्रक्रिया पश्चात चिकित्सा विभाग द्वारा अंतिम चयन सूची में मेरिट में आने के बावजूद याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके पुत्र के जन्म प्रमाणपत्र में उसके पति का नाम और तलाक़ डिक्री में उसके पति के नाम में भिन्नता होने से ऐसा प्रतीत होता है कि उसने पुनर्विवाह कर लिया है। जिस पर याचिकाकर्ता ने पुत्र के जन्म प्रमाण पत्र में आवश्यक संशोधन करवाकर और पुनर्विवाह नहीं करने का शपथपत्र चिकित्सा विभाग और भर्ती एजेंसी शिफ़ू कार्यालय, जयपुर में पेश भी कर दिया, लेकिन उसे नियुक्ति नही दी गयी।

मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि पुत्र का जन्म तलाक़ होने से पांच साल पूर्व का है और पुत्र के जन्म प्रमाणपत्र में ईमित्र वाले कार्मिक की ग़लती से पति के नाम मे (देराम राम की जगह दया राम) ग़लती/ भिन्नता होने से उसकी तलाक़ श्रेणी में पात्रता में कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि नियमानुसार और विज्ञप्ति की शर्त अनुसार भी आवेदन करने की अंतिम दिनाँक से पूर्व का सक्षम न्यायालय से जारी विवाह विच्छिन्न आदेश आवश्यक होता है, जो याचिकाकर्ता के पास है। ऐसे में चिकित्सा विभाग को यह प्रतीत होना बेमानी और हास्यास्पद है, कि 2014 के जन्म प्रमाणपत्र में उसके पति का नाम गलत लिख देने से उसने पुनर्विवाह कर लिया है, जबकि तलाक़ ही 2019 में हुआ है।

रिकॉर्ड का परिशीलन पश्चात हाइकोर्ट न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकलपीठ ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था दी कि अंतिम कटऑफ तिथि से पूर्व की तलाक़ डिक्री होने पर याचिकाकर्ता विच्छिन्न विवाह श्रेणी में नियुक्ति के लिए पात्र हैं और पुत्र के जन्म प्रमाणपत्र में किये गए संशोधन को कंसीडर करते हुए आवश्यक आदेश जारी करें। तब तक याचिकाकर्ता के वर्ग में एक पद रिक्त रखने का भी आदेश दिया।

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