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राजस्थान दिवस पर विशेषः विकास की डगर पर अपना राजस्थान

हम सभी लोग राजस्थान दिवस के आयोजनों के माध्यम से प्रदेश की गौरवगाथाओं के गान में रमे हुए हैं। यह राजस्थान की स्थापना से लेकर अब तक के बहुआयामी विकास और देश-विदेश में राजस्थान की पहचान के मूल्यांकन का दिवस है।

हम सभी के लिए यह दिन केवल उल्लास की अभिव्यक्ति और धूमधड़ाके भरे आयोजनों की औपचारिकताएं पूरी कर इसके लिए जारी बजट की एक-एक पाई को खर्च कर डालने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दिवस हम सभी के आत्म मूल्यांकन का वार्षिकोत्सव भी है।

हम अपने राजस्थान से कितना लगाव और आत्मीयता रखते हैं, इसके विकास के लिए कितने अधिक समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। इसकी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम करने में हमारा अब तक कितना योगदान रहा है, इन विषयों पर ईमानदारी से चिन्तन-मनन के साथ आत्म मूल्यांकन करने का सबसे उपयुक्त और सटीक दिवस है आज का दिन।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अद्वितीय कुशलतम नेतृत्व में आज राजस्थान हर क्षेत्र में अपनी बुनियाद को मजबूती देता हुआ ऐसे विकास की डोर थाम चुका है, जहां हर तरफ सुनहरा विकास भी है और आम इंसान के लिए जीवन जीने का सुकून भी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत-2047 के संकल्प को साकार करने की दिशा में राजस्थान सरकार कई प्रगतिकारी प्रकल्पों और नवीन योजनाओं के साथ काम कर रही है। इनकी आशातीत सफलता से ही ‘विकसित राजस्थान’ की सहभागिता सामने आ पाएगी।

राजस्थान की सरकार प्रदेश को तीव्र प्रगतिकारी प्रदेश बनाने के लिए जिस संकल्पबद्धता से काम कर रही हैं, वह अपने आप में राजस्थान के वैकासिक इतिहास में अपूर्व है।

प्रदेश में वैयक्तिक कल्याण से लेकर सामुदायिक उत्थान और आँचलिक विकास की खूब सारी योजनाएं चल रही हैं, ढेरों कार्यक्रमों के माध्यम से बदलाव लाने की हरचन्द कोशिशें जारी हैं और इनका सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा है।

लग रहा है कि जैसे पूरा का पूरा राजस्थान उठ खड़ा हुआ है अपने नवनिर्माण के लिए और वह भी आधुनिकताओं और संचार क्रान्ति से जुड़े नवाचारों के साथ। सामाजिक सरोकारों से लेकर सामुदायिक विकास तक की गतिविधियों का तीव्रतर क्रियान्वयन प्रदेश को कई नए-नए आयामों से परिचित करा रहा है।

सब कुछ सुनहरा होने लगा है। यह सब इस बात का संकेत है कि हमारा अपना राजस्थान अब पिछड़ेपन के कलंक से बाहर निकलकर तीव्रतर विकास की तेज रफ्तार पा चुका है, जहाँ रुकने का कोई नाम नहीं, बढ़ने और उपलब्धियों के शिखरों के आरोहण का इतिहास रचने को समुत्सुक और आतुर है राजस्थान।

यह जरूरी है कि हम सभी लोग राजस्थान को अपना समझें, राजस्थान के लिए काम करें और हमेशा यह प्रयास करें कि हरेक राजस्थानवासी सुखी, समृद्ध और आरोग्यवान रहे तथा हम जो कुछ करें वह अपने राजस्थान के लिए करें।

हम सभी को इसके लिए पूरी ईमानदारी से आत्म मंथन करने की आवश्यकता है। जो राजस्थान के मूल निवासी हैं और जो राजस्थान में रह रहे हैं, चाहे वे दुनिया में कहीं के हों, राजस्थान के प्रति जिनकी निष्ठा है, वे सभी बंधु और भगिनियां राजस्थानी ही हैं।

जो राजस्थान के लिए सोचता है, करता है वह हर इंसान राजस्थानी है। हम सभी राजस्थानियों को पूरी गंभीरता के साथ राजस्थान दिवस मनाते हुए अपनी-अपनी भागीदारी के बारे में चिन्तन करना चाहिए।

जहाँ हम राजस्थान के बारे में चिन्तन-मनन करते हैं वहाँ हम सभी को सोचना चाहिए कि हमारे पुरखों और पूर्ववर्ती विकास पुरुषों ने जितना कुछ किया है उतना भी हम कर पाए या नहीं।

हमारे लिए यह मातृभूमि महत्त्वपूर्ण है जहाँ शौर्य और पराक्रम का इतिहास रचने वाले महापुरुषों की लम्बी श्रृंखला विद्यमान रही है।

कला, संस्कृति, साहित्य, नैसर्गिक सौन्दर्य, अद्वितीय परंपराओं, वीरगाथाओं से भरे इतिहास, एक ही प्रदेश में तरह-तरह की भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विलक्षणताओं का मिला-जुला मनोहारी संगम और हर इंसान को हर तरह का सुकून देने लायक वह सब कुछ है जो धरती को स्वर्ग का दर्जा देने वाला है।

इसीलिए कहा गया है कि इस धरती पर देव भी रमण के लिए आते हैं। एक ओर जहाँ प्रकृति की भरपूर कृपा धाराओं की अनवरत् श्रृंखला विद्यमान है, वहीं दूसरी ओर विकास के तमाम आयामों में राजस्थान निरन्तर तरक्की की ओर बढ़ता जा रहा है।

बहुआयामी विकास का अजस्र स्रोत राजस्थान की रत्नगर्भा धरती में छिपा हुआ है। यह कहा जाए कि राजस्थान का कण-कण ऊर्जा और आनंद का अहसास कराने वाला है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

जिन लोगों के लिए जो योजनाएं और कार्यक्रम बने हैं उनकी पहुंच उस हर इंसान तक हो जाए जो जरूरतमन्द है, हर गांव और शहर तरक्की के तराने सुनाने लग जाएं। हर इंसान अपने आपको राजस्थान का और राजस्थान में होने पर गर्व एवं गौरव का अहसास करने लायक हो जाए, ऐसा वातावरण बनाने की दिशा में जो व्यापक प्रयास हो रहे हैं, उन्हें आगे से आगे बढ़ाना और अपनी सहभागिता निभाना ही आज का हमारा पहला फर्ज है।

आज परम्परागत विकास के साथ ही नवाचारों के इन्द्रधनुषों ने प्रदेश की स्वर्णिम आभा को महिमा मण्डित किया है। सब तरफ यह संदेश पहुंचने लगा है कि राजस्थान में अपनी कई ख़ासियतें हैं, जिनकी वजह से प्राचीन काल से लेकर आज तक इसकी माटी में जो सौंधी गंध विद्यमान है, वह अपने आपमें बेमिसाल ही है।

जिस हिसाब से राजस्थान तरक्की कर रहा है, कई मामलों में दूसरे प्रदेशों से आगे निकल चुका है। उसे देख कर कहा जा सकता है कि हम सभी लोग थोड़ी सी मेहनत और कर लें तो हमारा राजस्थान न केवल भारतवर्ष बल्कि दुनिया में अपनी पहचान के नवीन शिखरों की स्थापना कर सकता है।

अब तक क्या हुआ, क्या हो पाया, यह भूल जाएं। नए सिरे से राजस्थान को बनाने के लिए अपनी सशक्त भागीदारी का इतिहास रचने के लिए आगे आने की जरूरत है। सौभाग्य से आज इसके लिए सब तरफ का माहौल अनुकूल, प्रेरक और सम्बलदायी है।

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