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जम्मू-कश्मीर में हो रही बारिश और बर्फबारी

श्रीनगर, 20 फरवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में लोगों ने शुष्क मौसम से राहत की सांस ली है क्योंकि बीती देर रात प्रदेश के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी हुई और मैदानी इलाकों में बारिश जारी है। मौसम वैज्ञानिकों ने आज और बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है।

जम्मू-कश्मीर के सभी ऊंचे इलाकों में बर्फबारी दर्ज की गई है जबकि मैदानी इलाकों में बारिश जारी है। इसी बीच गुलमर्ग, सोनमर्ग और जोजिला दर्रे जैसे पर्यटन स्थलों पर बुधवार देर रात से बर्फबारी हो रही है।

वर्तमान में दक्षिण और उत्तरी कश्मीर के ऊंचे इलाकों में भी बर्फबारी हो रही है जबकि जम्मू सहित उत्तर, दक्षिण और मध्य कश्मीर के मैदानी इलाकों में बारिश जारी है। इस दौरान बनिहाल में भी लगातार बारिश दर्ज की गई है जबकि ऊपरी इलाकों में हल्की बर्फबारी हुई है।

मौसम विभाग के अनुसार श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस, गुलमर्ग में-2.8 डिग्री सेल्सियस, काजीगुंड 3.8 डिग्री सेल्सियस, पहलगाम 1.2 डिग्री सेल्सियस, कुपवाड़ा 1.5 डिग्री सेल्सियस, कोकरनाग 2.2 डिग्री सेल्सियस और कोनीबाल 4.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

जबकि जम्मू जिले में न्यूनतम तापमान 11.9 डिग्री सेल्सियस, बनिहाल में 2.4 डिग्री सेल्सियस, बटोत में 3.7 डिग्री सेल्सियस, कटरा में 9.0 डिग्री सेल्सियस, भद्रवाह में 4.4 डिग्री सेल्सियस और कठुआ में 11.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

इस बीच एक स्वतंत्र मौसम पूर्वानुमानकर्ता फैजान आरिफ ने बताया कि जम्मू और कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में मध्यम बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है जबकि कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर जम्मू क्षेत्र में कश्मीर घाटी की तुलना में अधिक वर्षा दर्ज की जा सकती है। चिनाब घाटी के जिलों- रामबन, किश्तवाड़ और डोडा में मध्यम से भारी वर्षा और बर्फबारी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी के मैदानी इलाकों में बारिश हावी हो सकती है लेकिन तापमान में तेज गिरावट से बर्फबारी हो सकती है।

तापमान के बारे में फैजान ने कहा कि 20 फरवरी को तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि पीर पंजाल रेंज में भारी बर्फबारी होने की उम्मीद है जिससे गुलमर्ग, सिंथन टॉप, पीर की गली और मुगल रोड जैसे इलाके प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि 20 फरवरी को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पत्थर गिरने और भूस्खलन का भी खतरा है। हालांकि उन्होंने कहा कि 21 फरवरी से मौसम की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि जम्मू और कश्मीर में दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह में केवल तीन बार वर्षा हुई। 40 दिनों की कठोर सर्दियों की अवधि, चिल्लई-ए-कलां जिसके बाद 20 दिनों की चिल्लई-खुर्द, विशेष रूप से कश्मीर घाटी में सूखे के साथ समाप्त हुई। विशेषज्ञों ने इस गर्मी में घाटी में संभावित गंभीर जल संकट पर चिंता जताई है। पर्यावरणविद मौसम के बदलते मिजाज और बर्फबारी की कमी के लिए मानव-प्रेरित पर्यावरणीय गिरावट, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानते हैं।

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