रायसेन, 19 फरवरी (हि.स.)। प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना वर्ष 2025 निर्धारित समयावधि के अनुसार 17 फरवरी, 18 फरवरी और 19 फरवरी को प्रातः 07 बजे से 09 बजे के मध्य प्रदेश के अन्य वनमण्डलों के समान ही वन मण्डल रायसेन सामान्य और औबेदुल्लागंज में सम्पन्न हुई। प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना में रायसेन जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर है।
रायसेन डीएफओ विजय कुमार ने बुधवार को बताया कि इस वर्ष सटीक गणना हेतु वन अमले को गिद्धों की पहचान हेतु प्रशिक्षण वन भवन भोपाल एवं वन मण्डल स्तर पर प्रदाय किया गया। रायसेन वन मण्डल के अन्तर्गत समस्त परिक्षेत्रों में गणना हेतु प्रस्तावित स्थलों का चयन किया गया जिसमें से वन परिक्षेत्र पूर्व रायसेन, पश्चिम रायसेन, गढ़ी, बेगमगंज, पश्चिम सिलवानी एवं देवरी में गिद्धों की उपस्थिति पाई गई। वन अमले द्वारा चयनित स्थल वनक्षेत्र एवं राजस्व क्षेत्र में सुबह 7 बजे से 09 बजे तक 17 फरवरी को 15 स्थलों में 726 गिद्ध, 18 फरवरी को 16 स्थलों पर 951 गिद्ध और 19 फरवरी को 18 स्थलों पर 934 गिद्धों की गणना वन अमले द्वारा की गई।
उन्होंने बताया कि वन मण्डल औबेदुल्लागंज के अन्तर्गत परिक्षेत्र बाड़ी, बम्होरी, गोहरगंज. चिकलोद, सुल्तानपुर, चिल्वाहा, दाहोद, देलावाड़ी, बरखेड़ा बिनेंका में 17 फरवरी को 15 स्थलों में 377 गिद्ध, 18 फरवरी को 16 स्थलों में 549 गिद्ध एवं 19 फरवरी को 16 स्थलों में 463 गिद्धों की उपस्थिति पाई गई है। गिद्ध गणना में दोनों वन मण्डलों में गिद्धों की प्रजाति जैसे सफेद पीठ या व्हाईट रम्प्ड, गिद्ध, लॉग रिब्ड या देशी गिद्व. इजिप्शियन या सफेद गिद्ध, रेड हेडेड या राजगिद्व, हिमालयन गिद्व यूरेशियन ग्रिफन प्रजाति के गिद्धों की उपस्थिति पाई गई। प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना 2025 के आंकड़ों के आधार पर रायसेन जिला पन्ना के बाद द्वितीय स्थान पर है। गिद्धों की संख्या में पिछले वर्षो की तुलना में उल्लेखनीय एवं सकारात्मक वृद्धि हुई है।
विदित हो कि पिछले वर्ष की गणना में गिद्धों की रायसेन वन मण्डल में अधिकतम संख्या 314 थी जो बढ़कर इस वर्ष की गणना में 951 हो गई है इस प्रकार एक ही वर्ष की अवधि में तीन गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके लिये जिले के दोनों वन मण्डलों में पशु चिकित्सा विभाग के साथ समन्वय कर डायक्लोफिनाक एवं निमुलसाइड दवा जो कि गिद्धों के लिये जानलेवा होती है, के पशु उपचार में दिये जाने पर अंकुश लगाया गया है। रायसेन में बड़ती हुई गिद्धों की संख्या को देखते हुये बीट सरार में वल्चर रेस्टोरेंट बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसमें कि गिद्धों के रहवास स्थल प्रबंधन, भोजन की पर्याप्त उपलब्धता एवं मानवीय व जैविक दबाव को नियंत्रित किया जाना प्रस्तावित है।