फतेहाबाद, 13 फरवरी (हि.स.)। केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ ने कहा है कि देश में नई शिक्षा निति के तहत विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति एवं गौरव का भी ज्ञान करवाया जाएगा। साथ ही उसे नैतिक संस्कारों के शिक्षा भी प्रदान की जाएगी। इसके लिए बकायदा प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में संस्कार अध्यापक भी नियुक्त होंगे। वह गुरुवार को फतेहाबाद में नई शिक्षा नीति को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। इससे पहले समाजसेविका रेखा शाक्य ने उनका स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति में सामाजिक संस्थाओं एवं आमजन के योगदान पर भी उनसे चर्चा की। नई शिक्षा नीति के कार्यक्रम में बोलते हुए निदेशक नरेश सेलपाड़ ने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाओं के तहत चयनित अध्यापक का कार्य विद्यार्थियों में जहां संस्कार विकसित करना होगा, वहीं वो नैतिक शिक्षा के भी ध्वजवाहक का भी कार्य करेंगे। ये अध्यापक स्कूल एजुकेशन और साक्षरता मिशन भारत सरकार के विशेष प्रोजेक्ट के तहत मिनिस्ट्री आफ कल्चर अफेयर भारत सरकार व देश की एक नामी संस्थान के तत्वावधान में सभी प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए बकायदा सिलेबस भी तैयार किया जा रहा है। ये अध्यापक अंशकालिक होंगेए और ये हर रोज दो घंटे ही विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। यदि सब कुछ आशानुरुप रहा तो इसके लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। ये अध्यापक नए सत्र से स्कूलों में शिक्षा देते हुए नजर आएंगे।ये रहेगी शैक्षणिक योग्यताकेश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ के अनुसार इन पदों के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा पास गई है। साथ ही आवेदक की आयु प्रदेश में नियुक्ति नियमों के अनुरुप 18 से 42 वर्ष के मध्य होनी चाहिए। हालांकि एससीए एसटी या भूतपूर्व सैनिकों या उनके आश्रितों, स्वतंत्रता सैनानियों के आश्रितों को इसमें तीन वर्ष की छूट रहेगी। इसके अलावा इसके 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। निदेशक नरेश सेलपाड़ ने बताया कि चयनित प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त संस्कार अध्यापकों को महज दो घंटे ही अपनी सेवाएं देनी होगी। जिसके एवज में उन्हें 9240 रुपये के आस-पास वेतनमान दिया जाएगा। यदि एक गांव में एक स्कूल है तो उनकी डयूटी उसी स्कूल में होगी। यदि गांव में दो प्राईमरी स्कूल हैं तो अलग-अलग दिनों या एक-एक घंटा दोनों स्कूलों में सेवाएं देनी होगी। किसी बड़े गांव या कस्बे में दो से अधिक प्राइमरी स्कूल होने पर वहां एक से अधिक अध्यापकों की नियुक्तियां हो सकेगी।
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