रायगढ़ , 20 फ़रवरी (हि.स.)।बड़े औद्योगिक घराने के आगे शासन प्रशासन सब नतमस्तक हैं। यही वजह है कि जेपीएल के द्वारा जिस तरह से कोयला उत्खनन के लिए सारे नियम कानून को ताक पर रखकर न सिर्फ हरे भरे वृक्षों की कटाई कराई जा रही है। ग्रामीण इस बात से दुखी हैं की सरकार आदिवासियों के संरक्षण के लिए अनुसूची 5 अंतर्गत प्राप्त पेसा कानून के तहत मिले अधिकारों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। ग्रामीण लगातार गुहार लगा रहे लेकिन सब मूक दर्शक बन खामोश हैं।आज एक बार फिर से ग्रामीणों का एक दल जिला प्रशासन से गुहार लगाने कलेक्ट्रेट पहुंचा। उन्होंने बताया कि कोई उनकी बात को नहीं सुन रहा है। शासन प्रशासन द्वारा वनाधिकार कानून के तहत सामुदायिक वनाधिकार पट्टा भी प्रदान किया गया है।
ग्रामीण सरकार से मिले कानूनन अधिकार के तहत मांग कर रहे रहे हैं लेकिन आरोप है कि अधिकारी ग्रामीणों अनसुना कर रहे हैं । ग्रामीणों के द्वारा वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने खड़े होने पर उल्टा उन पर कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाकर एफआईआर करा दिया जा रहा है।
तमनार ब्लॉक के सरसमाल, डोंगामहुवा, कोसमपाली, कोडकेल अंतर्गत घने जंगलों का विनाश हो रहा है। सरकार एक तरफ हर साल पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने करोड़ों अरबों रुपए फूंकती दे देती है। दूसरी तरफ सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर हरे भरे घने जंगलों की कटाई जारी है । वनों को बचाने जुटे ग्रामीणों पर कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाकर विधिवत एफआईआर दर्ज की जा रही है।
विदित हो कि जेपीएल द्वारा गारे पेलमा 4/2 और 4/3 से कोयला निकालने के लिए अब आगे और विस्तार करने की योजना है। डोंगामहुवा, कोसमपाली, कोडकेल क्षेत्र के जंगलों की कटाई कराई जा रही है। ग्रामीण लगातार दबाव बनाकर इसे रोक लगाने की मांग की जा रही है। परंतु दुर्भाग्य है कि ग्रामीणों द्वारा अब तक कई दफा जिला प्रशासन सहित तमाम जिम्मेदार अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को इस समस्या को लेकर अवगत कराया जा चुका है और लगातार गुहार लगाई जा रही है।
आज एक बार फिर से ग्रामीणों का एक दल जिला प्रशासन से गुहार लगाने कलेक्ट्रेट पहुंचा। उन्होंने बताया कि कोई उनकी बात को नहीं सुन रहा है। शासन प्रशासन द्वारा वनाधिकार कानून के तहत सामुदायिक वनाधिकार पट्टा भी प्रदान किया गया है। पेसा एक्ट के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल कर ग्रामीण ग्राम सभा कर वनों की कटाई न करने और वनाधिकार कानून के तहत प्राप्त पट्टे वन क्षेत्र से कोयला निकालने के विरोध में प्रस्ताव पारित कर विधिवत इसकी सूचना जिला प्रशासन को देकर हर स्तर पर गुहार लगा चुके हैं।
विधायक विद्यावती सिदार को लेकर उन्होंने कहा की वह महिला है किंतु हम महिलाओं के दर्द से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। जिला प्रशासन से गुहार लगाने पहुंची ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि कई बार विधायक से गुहार लगाया कि आप कम से कम एक बार आ जाइए और हमारी बात को ऊपर तक पहुंचाइए किंतु उनके कान में जूं तक नहीं रेंगा। हमने उन्हें अपना विधायक चुना लेकिन उन्हें हमसे या ग्रामीणों की समस्या से कोई सहानुभूति नहीं है।
यहां यह भी स्पष्ट होता है कि आदिवासियों और आदिवासी संस्कृति को लेकर सरकार द्वारा एक तरफ आदिवासियों को संरक्षित करने की मंशा से अनुसूची एक्ट के तहत प्राप्त पैसा कानून का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। वस्तु स्तिथि को देखा जाए तो यहां पैसा कानून एक मजाक बन कर रह गया है।