जम्मू, 18 फरवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष एडवोकेट रतन लाल गुप्ता ने केंद्रीय संसदीय एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बीच समन्वय की कमी के कारण कल्याणकारी योजनाओं के लिए अपर्याप्त धनराशि उपलब्ध हो रही है।
जिला अध्यक्ष रमेश लाल मोटन की अध्यक्षता में जिला जम्मू शहरी जेकेएनसी एससी सेल के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करते हुए वरिष्ठ एनसी नेता ने कहा कि केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी जम्मू-कश्मीर प्रशासन और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बीच समन्वय की कमी की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है जो जम्मू-कश्मीर में वर्तमान दोहरी सत्ता प्रणाली के कारण है जो लोगों के वास्तविक और ज्वलंत मुद्दों को संबोधित करने में अप्रभावी साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि पूरी तरह से सशक्त निर्वाचित सरकार की अनुपस्थिति ने प्रशासनिक विफलताओं को जन्म दिया है जहां अल्पसंख्यकों और हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए निर्धारित धन का या तो कम उपयोग किया जाता है या बर्बाद कर दिया जाता है। रतन लाल गुप्ता ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को नई दिल्ली द्वारा निर्देशित नौकरशाही व्यवस्था और खंडित स्थानीय प्रशासन के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस दोहरी शक्ति संरचना को समाप्त किया जाना चाहिए और एक पूर्ण राज्य सरकार को बहाल किया जाना चाहिए। केवल एक लोकतांत्रिक व्यवस्था ही यह सुनिश्चित कर सकती है कि नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और लोगों तक बिना नौकरशाही बाधाओं के धन पहुंचे। लोगों के चल रहे संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ एनसी नेता ने बताया कि बुनियादी सुविधाएं कई लोगों के लिए दूर का सपना बनी हुई हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र की सरकार प्रगति का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है जहां जम्मू-कश्मीर में दोहरी शक्ति प्रणाली के कारण लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति गंभीर बनी हुई है जहां निर्दाेष नागरिक अभी भी आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रशासन सामान्य स्थिति का दावा करता है फिर भी लोग डर के साये में जी रहे हैं। पूर्ण राज्य की अनुपस्थिति ने क्षेत्र को दिशाहीन बना दिया है।
प्रांतीय अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को काम करने की अनुमति देने का आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शासन लोगों द्वारा, लोगों के लिए और लोगों के लिए हो।