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गाय का दूध तो सब पीना चाहते हैं, लेकिन कोई गाय पालना नहीं चाहता : श्री मां योग योगेश्वरी यति

महाकुम्भ नगर, 11 फरवरी (हि.स.)। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की महामण्डलेश्वर श्री मां योग योगेश्वरी यति जी धर्म, अध्यात्म, समाज और समसामयिक विषयों पर प्रमुखता से अपनी बात रखती हैं। गौ पालन और संरक्षण से जुड़े तमाम पहुलओं पर उनका गहन अध्ययन और अनुभव है। गौ सेवा को वो सर्वश्रेष्ठ मानती हैं। उनका कहना है कि गौशालाओं को एग्रीकल्चर बिजली का कनेक्शन मिलना चाहिये। इसके लिये मौजूदा कानून में बदलाव की जरूरत है। वो आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरीज के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी चिंता जाहिर करती हैं। उनका मानना है कि युवाओं के साथ बेहतर कम्युनिकेशन रखकर समाज और देश को नयी दिशा दी जा सकती है। विविध विषयों पर उनसे हिन्दुस्थान समाचार की ओर से डॉ. आशीष वशिष्ठ ने बातचीत की…..

गौ संरक्षण के लिये समाज को आगे आने होगा : श्रीमां ने बताया कि, गौ के संरक्षण के हवा हवाई बातें ज्यादा हो रही है। पिछले दस वर्षों में आमजन के बीच चेतना तो आई है, लेकिन अभी इस दिशा में काफी काम करना बाकी है। वर्तमान में गाय पालना आसान नहीं है। गौचर भूमि से लेकर खेती की जमीन पर कब्जा हो रहा है। किसान भी पैसे के लालच में खेती की जमीन बेच रहा है, जिससे पशुओं के लिये चारे की कमी हो रही है। वहीं एक अहम विषय यह भी है कि गौशालाओं को कॉर्मिशियल बिजली का कनेक्शन दिया जाता है। जिससे गौशाला का खर्चा बढ़ जाता है। सरकार को गौशालाओं को एग्रीकल्चर बिजली का कनेक्शन देना चाहिये, जैसे किसानों को दिया जाता है। इससे गौशालाओं का खर्चा कम होगा, और उनके चारे पानी की भी व्यवस्था हो जायेगी।

दूध सब पीना चाहते हैं, पर गाय कोई पालना नहीं चाहता : श्रीमां ने कहा कि, जितनी दूध की जरूरत है, उतना दूध का उत्पादन देश में नहीं हैं। सच्चाई यह है कि हम नकली दूध पी रहे है। दूध कंपनी वालों से पूछों, क्या वो अपनी कपंनी का दूध पीते हैं। मार्केट में अधिकतर दूध नकली है। वास्तव में हम लापरवाह हैं; उदासीन हैं, इसी का लाभ दूध कंपनियां उठा रही है। दूध सब पीना चाहते हैं, गाय की पूजा भी करना चाहते हैं, लेकिन गाय पालना कोई नहीं चाहता। गौमाता की जय कहने से गौ माता की रक्षा नहीं होगा। जब हम गौ माता की सेवा करेंगे, तभी गौ माता की जय होगी।

गाय नेगेटिव एनर्जी को खत्म करती है : उन्होंने कहा कि, आज लोग वास्तु के हिसाब से मकान और फ्लैट बना रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी परेशानियां कम नहीं होती। क्योंकि हमने मुसीबतें दूर करने और हरने वाली भगवती को अपने से दरवाजे से दूर कर दिया है। गाय सारी नेगेटिव एनर्जी को अपने में समाहित कर लेती है। मैं तो लोगों को कहती हूं अपने घर में गौमूत्र का छिड़काव करें, नेगेटिव एनर्जी खत्म हो जाएगी। परिवार के लोगों का स्वास्थ्य सुधरेगा। घर में खुशहाली और समृद्धि आयेगी। पहले गाय के गोबर से घर-द्वार लीपे जाते थे। वर्तमान में ये संभव नहीं है। लेकिन गाय का थोड़ा सा गोबर हल्दी और रोली मिलाकर किसी स्थान पर रख दें, ये आपकी रक्षा करेगा।

युवाओं को गौ पालन के लिये प्रेरित करना होगा : युवाओं को किस तरह गौ सेवा और गौ पालन के लिये प्रेरित किया जा सकता है, इस प्रश्न के उत्तर में श्री मां ने कहाकि, युवाओं को तो हमें प्रेरित करना होगा। माता-पिता और परिवार युवाओं को गाय का महत्व बताये। हम बच्चे की अंगुली पकड़कर जिस रास्ते पर चलाएंगे, बच्चे उसी रास्ते पर ही तो चलेंगे। बच्चों और युवाओं को गाय और गौशाला में लेकर जाना चाहिये। उन्हें गाय की सेवा के लिये प्रेरित करना चाहिये। बच्चों से संवाद स्थापित करना होगा। क्योंकि मेरा मानना है कि बच्चे संवाद से जितना मोटिवेट होते हैं, उतने किसी दूसरे माध्यम से नहीं। बच्चों को अपने रास्ते पर चलाना है तो उनसे फ्रेंडशिप करनी होगी। आप बच्चों के दोस्त बन जायेंगे तो वो आपके हिसाब से चलने लगेंगे।

पंडाल में पैसा लगाने की बजाय पैसा गौसेवा में लगाती : श्रीमां ने कहाकि, महाकुम्भ में भारी-भरकम खर्च करके पंडाल और शिविर बनाये गये। मेरे पास इतना पैसा होता तो मैं इस पैसे को गौसेवा में लगाती। शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करती। वो कहती हैं, कई शिक्षा संस्थान संतों और धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित हो रहे हैं। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या ये संस्थान मिशनरीज के संस्थानों को टक्कर दे पा रहे हैं? क्या आपने वहां शिक्षा संस्थान बनाये हैं, जहां आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरीज काम कर रही है।

लव जेहाद कहीं न कहीं संस्कारों की कमी है : हिन्दू बच्चियां लव जेहार का लगातार शिकार हो रही हैं, इस सवाल के जवाब में श्री मां ने कहा कि, कहीं न कहीं घर-परिवार में संस्कारों की कमी है। वहीं बॉलीवुड की फिल्में भी इसके लिये जिम्मेदार हैं। आज युवाओं के हाथ में बुरा और अच्छा दोनों है (मोबाइल फोन की ओर इशारा करते हुए)। हमारे शरीर में अच्छा और बुरा दोनों भरा हुआ है। अहम सवाल यह है ये कंट्रोल कैसे होगा। ‘टीन एज’ में बच्चे पहुंचते हैं तो उनके सामने बहुत सारी गन्दगी होती है। ऐसे में माता-पिता और अभिभावकों की जिम्मेदारी हो जाती है कि इस बवंडर को कैसे थाम कर रखें। आप (अभिभावक) सख्त भी हों, उन्हें (बच्चों को) आजादी भी दें। उन पर दृष्टि भी रखिये। समय समय पर बच्चे को इस बात का एहसास कराते रहिये कि मेरी जिंदगी के सबसे प्रिय तुम हो। कहीं न कहीं ‘इमोशनल टच’ बच्चे से बनाकर रखिये। ताकि कोई भी ऐसा कदम उठाने से पहले उसकी आत्मा उसे कोसे। विडंबना इस बात की है कि समाज और परिवार में ‘इमोशंस’ की कमी हो रही है।

फेस टू फेस बात करिये फेसबुक पर नहीं : आमजीवन में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग पर उन्होंने कहा कि, मैंने पहले कहा न समाज और परिवार में इमोशंस की कमी हो रही है। क्योंकि लोग फेसबुक पर संबंध बना रहे हैं। मेरा कहना है कि फेस टू फेस बात करिये, फेसबुक पर नहीं। फेसबुक पर रिलेशंस तो बन रहे हैं, लेकिन इमोशंस खत्म हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर किसी स्वार्थ के लिये मिले। हम अगर ये चीजें करेंगे तो हमारे बच्चे भी तो यही करेंगे। बच्चों पर दृष्टि होनी चाहिये, समय-समय पर रिशतों की पॉलिश होनी चाहिये।

शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों अहम चीजें : मिशनरीज इन्हीं दोनों क्षेत्रों (शिक्षा और स्वास्थ्य) में काम करके धर्मांतरण कर रही है। ऐसे में धर्मगुरुओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहिये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, यही दों (शिक्षा और स्वास्थ्य) चीजें अहम है। उन्होंने (मिशनरीज) तो सारी दुनिया में शिक्षा और स्वास्थ्य के रास्ते ही धर्मांतरण करवाया है। मिशनरीज के स्कूलों में पढ़े बच्चों में भारतीयता कम हो जाती है। उनके अंदर पश्चिमी सभ्यता घुलमिल जाती है। नाम हिन्दू रह जाता है, 50 फीसदी तो बदल जाते हैं। यह धीमा जहर है। हिन्दू संतों और धर्मगुरुओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहिये। कुछ धार्मिक संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं। इस संबंध में काफी कुछ किया जाना बाकी है।

चिंता की बात धर्मांतरण : उन्होंने कहा कि, पंजाब में तेजी से धर्मांतरण चिंता का विषय है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये। श्रीमां ने कहाकि, केरल की यात्रा के दौरान रास्ते में मुझे कहीं भी मंदिर दिखाई नहीं दिया। समुद्र के किनारे बैठकर आपको मंदिर की घंटी की बजाय चर्च में हो रही प्रार्थना की आवाज सुनाई देती है। धर्मांतरण पर रोक लगनी चाहिये।

संन्यास ऐसी चीज है, जिसकी कोई प्लानिंग नहीं हो सकती : आपका जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ, आपने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर संन्यास का रास्ता क्यों चुन लिया इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहाकि, मेरी माता धार्मिक प्रवृति की थी। पापा सेना में अधिकारी थे। पापा ने शुरू से ही देशभक्ति की शिक्षा दी। महापुरुषों की कहानियां सुनाई। उन्हीं की शिक्षाओं के चलते देशसेवा और देशप्रेम की भावना बचपन से मन में कूट कूट कर भरी हुई थी। जहां तक संन्यास की बात है, संन्यास ऐसी चीज है, जो प्लानिंग से नहीं होता। जन्म से लेकर बच्चे की शिक्षा, विवाह और अन्य मामलों में प्लानिंग हो सकती है। लेकिन संन्यास जीवन का वह ‘पार्ट’ जो प्लानिंग से नहीं होता। मैंने किसी बड़े महात्मा से प्रभावित होकर संन्यास नहीं लिया। मैं खुद पीछे मुड़कर देखती हूं तो अचम्भित होती हूं कि ये कैसे हो गया। ये सब मां काली की कृपा से ही हुआ है। ये प्रारब्ध है।

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