भोपाल, 25 फरवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश के सीहोर जिला मुख्यालय स्थित कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार से सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव का आगाज हो गया है। यह महोत्सव 3 मार्च तक चलेगा। इसके लिए विट्ठलेश सेवा समिति और प्रशासन ने इस आयोजन के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की हैं। महोत्सव को लेकर दो दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। रविवार रात तक पंडाल और डोम श्रद्धालुओं से भर गए। मंगलवार को कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने पंडाल की भोजनशाला में हजारों श्रद्धालुओं को नुक्ती, मिक्चर, रोटी, सब्जी और खिचड़ी-चावल का प्रसाद वितरण किया।
प्रसिद्ध भजन गायक देंगे प्रस्तुति
महोत्सव में 27 फरवरी और 1 मार्च को प्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुति देंगे। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से 2000 से अधिक सेवादार व्यवस्था के लिए पहुंचे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए तीन हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। कथा में शामिल होने के लिए देश भर से लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। आयोजन के लिए यहां चार लाख स्क्वायर फीट में पांच डोम और भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जो फुल हो गए थे।
शिवमहापुराण समारोह को लेकर ट्रैफिक पुलिस द्वारा पहले ही पार्किंग व्यवस्था और रूट डायवर्ट किया गया था। भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हजारों की संख्या में पुलिस के जवान दिन-रात अपनी सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन ने भी एक दर्जन से अधिक विभागों के आला अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है।
मंगलवार से पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा और रुद्राक्ष महोत्सव का सात दिवसीय आयोजन शुरू हो गया। जिसके लिए सुबह से रुद्राक्ष तैयार करने का सिलसिला जारी है। दोपहर में एक बजे से शाम 4 बजे तक कथा और रात्रि में सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस बार रुद्राक्ष महोत्सव में एक करोड़ से अधिक रुद्राक्षों को अभिमंत्रित किया जाएगा।
भगवान शिव पर भरोसा करना वह आपको कामयाबी दिलाएगा
कथा के पहले दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव के अनेक गुण हैं, लेकिन शांत रहना, समदर्शी, विनम्रता और निम्रलता आदि गुणों को श्रद्धालु ले लें, तो शिव की प्राप्ति हो सकती है। आपके जीवन में जब भी असफलता और निराश आए, तो भगवान शिव पर भरोसा करना वह आपको कामयाबी दिलाएगा। भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता है। जीवन में कोई जीव अकेला नहीं, कभी खुद को अकेला महसूस न करें, शुभकर्म में किसी के साथ का इंतजार न करें। अकेले भी कर्म, धर्म करने का मौका मिलता है, तो इसे गंवाना मत। शिव की आराधना कोई भी कर सकता है। भगवान शिव पूजा-अर्चना सेठ से लेकर गरीब कर सकता है। भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे हैं।
उन्होंने कहा कि जीवन में जब भी भगवत नाम सुनने का अवसर प्राप्त हो, उससे विमुख नहीं होना चाहिए-जीवन में जब भी भगवत नाम सुनने का अवसर प्राप्त हो, उससे विमुख नहीं होना चाहिए। परमात्मा अवतार धारण करके धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं। कथा के श्रवण करने की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर भगवान का स्मरण करते हैं। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोले की भक्ति में शक्ति होती है। भगवान भोलेनाथ कभी भी किसी भी मनुष्य की जिंदगी का पासा पलट सकते हैं। बस भक्तों को भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इस सृष्टि में हम जिस विपत्ति को कांटों की चुभन की तरह कष्टकारक समझते है, उसका भी हमसे गुलाब के कांटों जैसा ही अनोखा रिश्ता है। गुलाब का कांटों के बीच खिलना हमारे जीवन के लिए प्रकृति का संदेश है कि जीवन फूलों की सेज नहीं है। जैसे गुलाब में केवल कोमलता ही नहीं होती, उसी तरह जीवन भी सुख-दुख का संगम है। जिसने यह रहस्य समझ लिया, वह हर अभिशाप को भी वरदान बना लेता है। गुलाब का फूल और मनुष्य का शरीर दुखों और कांटों के मध्य रहता है। हमें अपने जीवन को सरल और सहज बनाकर अपने आपको सुखी रखना है। शिव पुराण का यही संदेश है कि भगवान शिव की आराधना करने वाला नहीं रहता दुखी। भगवान भोलेनाथ की भक्ति में बहुत ही शक्ति है। भोलेनाथ पर विश्वास करने वालों की पलट जाती है किस्मत।
जब भरोसा प्रबल हो जाए तो शिव मिलते हैं
उन्होंने कहा कि जब भरोसा प्रबल हो जाए तो शिव से मिलने में देरी नहीं होगी, यह केवल रुद्राक्ष उत्सव नहीं, यह भक्ति का सागर है साल भर में जो सात दिन है, इसमें पूरी आस्था और विश्वास के साथ भगवान शंकर की भक्ति करें, यहां से जो जाता है वो तीन माह बाद लौटकर आता है। यह देश में 12 ज्योर्तिलिंग में आस्था का देवालय है।
जो थोड़ी सी गर्मी पाकर गर्म हो जाए वो हीरा नहीं कांच
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कुबेरेश्वरधाम पर आकर दिल से बाबा की भक्ति करे, हमारे अंदर का अहम और घमंड को त्याग कर सच्चे मन से बाबा को याद करें, उन्होंने कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि एक जौहरी के पास दो हीरे थे, एक नकली और एक असली, वह अनेक स्थानों पर गया, लेकिन किसी ने इन हीरों की पहचान नहीं की, लेकिन संत ने असली हीरे के बारे में बताते हुए कहा कि हीरा कितनी गर्मी पड़ जाए अपना तत्व नहीं खोता है, जो थोड़ी सी गर्मी पाकर गर्म हो जाए वो कांच और जो अधिक गर्मी पाकर भी अपने तत्व पर बना रहे वहीं हीरा होता है। इसी तरह धन की गर्मी, पद की गर्मी और सत्ता की गर्मी में नहीं हमें शिव की भक्ति में लीन होकर अपना जीवन सफल करना है।