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बीएचयू के ‘उद्योग क्रॉसरोड’ ने जगाई नवाचार और प्रेरणा की चिंगारी

_ अतिथियों ने साझा की दृष्टि, रणनीति और सफलताओं की कहानियाँ

वाराणसी, 12 अप्रैल (हि,स,)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वाणिज्य संकाय में शनिवार को ‘उद्योग क्रॉसरोड: हाउ टू कॉन्कर द बिग शार्क्स’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संकाय के प्लैटिनम हॉल में कार्यक्रम ने युवाओं के भीतर छिपे औद्योगिक जुनून को न सिर्फ उजागर किया, बल्कि उन्हें प्रेरणा, ज्ञान और मार्गदर्शन का मंच भी प्रदान किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ बीएचयू कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह के संबोधन से हुआ। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि उद्योग केवल व्यापार स्थापित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समस्याओं को अवसर में बदलने की प्रक्रिया है। युवाओं को आर्थिक और वाणिज्यिक चुनौतियों को समझकर समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए और नौकरी चाहने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनना चाहिए।

आईआईटी-बीएचयू के पूर्व शोध एवं विकास अधिष्ठाता प्रो. विकास दुबे ने नवाचार और शोध को औद्योगिक सफलता की कुंजी बताते हुए छात्रों से अपने ज्ञान को व्यावहारिक रूप से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 की परिकल्पना हमारे लिए एक स्पष्ट दिशा है। आज हम गहन तकनीकी शोधों के माध्यम से ऐसा भारत बना सकते हैं जहाँ उद्योग नवाचार के साथ कदम मिलाकर चले।

आईआईटी-बीएचयू के कुलसचिव राजन श्रीवास्तव ने शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सच्ची सफलता वह है जो न केवल प्राप्त हो, बल्कि टिकाऊ भी हो। इसके लिए उद्देश्य, धैर्य और लचीलापन अनिवार्य हैं।

शार्क टैंक इंडिया की प्रतिभागी एवं उद्योगपति शिखा शाह ने कहा कि सच्चे उद्योगपति पारंपरिक रास्तों से हटकर सोचते हैं। वे समस्याओं का चयन बुद्धिमानी से करते हैं और असफलता को सीखने की कीमत मानते हैं।

दृष्टिबाधित उद्योगपति सत्य प्रकाश मालवीय ने अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए कहा “सफलता के लिए सबसे ज़रूरी है इच्छा-शक्ति। मैंने स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा ली और कभी नेतृत्व के अवसर को छोड़ा नहीं, चाहे पढ़ाई हो या स्कूल आयोजनों की ज़िम्मेदारी।

वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एच. के. सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत कर विषय रखा।

कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. राखी गुप्ता ने अतिथियों का आभार और डॉ. इशी मोहन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर प्रो. प्रियंका गीते, प्रो. डी. साहू, डॉ. वंदना सोनकर, डॉ. मीनाक्षी सिंह, डॉ. चिन्मय रॉय, डॉ. आशीष कान्त, डॉ. आंचल सिंह, डॉ. अवधेश सिंह, प्रो. एस. सी. दास, प्रो. वी. एस. सुंदरम, प्रो. एस. एन. झा आदि की मौजूदगी रहीं।

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