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सत्ता के दोहरे केंद्र किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं : मुख्यमंत्री

श्रीनगर, 02 जनवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में शासन का हाइब्रिड मॉडल किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है। जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है तो सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं, लेकिन राजभवन के साथ कोई टकराव नहीं हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में शासन के हाइब्रिड मॉडल के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में मीडिया से बातचीत में कहा कि सत्ता के दोहरे केंद्र किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं हैं। अगर दोहरे केंद्र शासन के प्रभावी उपकरण होते तो आप इसे हर जगह देख सकते थे। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लिए कमान के दोहरे केंद्र अंतर्निहित हैं। कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं, लेकिन उस पैमाने पर नहीं जिस पर अटकलें लगाई जा रही हैं। ऐसी खबरें सिर्फ कल्पना की उपज हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार के लिए कामकाज के नियम उचित विचार-विमर्श के बाद बनाए जाएंगे और फिर उन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि लोगों को जहां भी उनके मुद्दे हल हो सकते हैं वहां जाना चाहिए, चाहे वह राजभवन हो या स्थानीय विधायक या अधिकारी। आरक्षण के मुद्दे पर अपनी पार्टी के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी के विरोध के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) एक लोकतंत्र है और किसी को भी बोलने का अधिकार है। एनसी पर अक्सर एक पारिवारिक पार्टी होने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन हमने हमेशा कहा है कि हम एक लोकतंत्र हैं और सभी को बोलने का अधिकार है। सकारात्मक पक्ष देखें कितना बदलाव आया है। एक समय था जब विरोध करना अवैध माना जाता था, लोग विरोध करते थे और मेरे दरवाजे तक पहुंचते थे। हमने उसके बाद एक बैठक की। उन्होंने गुप्कर में अपने आवास के पास आरक्षण विरोधी विरोध का जिक्र करते हुए कहा जिसमें मेहदी भी शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक आरक्षण का सवाल है मैंने प्रतिनिधियों से कहा कि कैबिनेट उप-समिति बनाई गई है।

उन्होंने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि श्रीनगर से लोकसभा सांसद मेहदी संसद में भी राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए इसी तरह का विरोध प्रदर्शन करेंगे। हालांकि अब्दुल्ला ने कहा कि हम आरक्षित और खुली श्रेणी की लड़ाई लड़ सकते हैं, लेकिन पहले हमें अपनी नौकरियां बचानी होंगी। उन्होंने पूछा कि जब दूसरी जगहों से लोग नौकरी के लिए यहां आएंगे तो हम क्या करेंगे? दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के परिसर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास और हमारी उत्पादक कृषि भूमि की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। अब्दुल्ला ने कहा कि हम अपनी जमीन नहीं बढ़ा सकते, विकास नहीं रुक सकता। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि विकास परियोजनाएं यथासंभव गैर-उत्पादक भूमि पर हों।

उन्होंने कहा कि मैंने पुलवामा से आए एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और मैंने उनसे कहा कि अगर आप पुलवामा में एनआईटी नहीं चाहते हैं तो हम इसे किसी अन्य स्थान पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर कोई विकास के खिलाफ नहीं है। ऐसे अन्य क्षेत्र भी हैं जहां हम यह एनआईटी स्थापित कर सकते हैं। हमें विकास और अपनी उत्पादक कृषि भूमि की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा। विपक्ष के सैटेलाइट कॉलोनी बनाए जाने के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग सबसे ज्यादा शोर मचा रहे हैं वह वही लोग हैं जो ग्रेटर जम्मू और श्रीनगर की बात करते हैं। हालांकि अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीनगर शहर में भीड़भाड़ कम करने के लिए टाउनशिप बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के लिए है जो उपनगरों में जाना चाहते हैं। डाउनटाउन (श्रीनगर) में एक घर में चार से पांच परिवार रहते हैं।

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