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हिसार : वैज्ञानिक का जीवन साधु के समान, वह एक शोध में लगा देता पूरा जीवन : डॉ. विवेक जोशी

मुख्य सचिव ने किया एचएयू के सेंटर फार माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड प्रयोगशाला व डॉ. मंगल सैन संग्रहालय का भ्रमणहिसार, 6 जनवरी (हि.स.)। हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने कहा है कि वैज्ञानिक का जीवन साधु के समान होता है। वैज्ञानिक एक शोध कार्य में अपना पूरा जीवन लगा देता है। हकृृवि शैक्षणिक, शोध एवं विस्तार के क्षेत्र में निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर है। यहां के जुझारू वैज्ञानिक किसानों के लिए शोध कार्यों और डाटा बेस को गति देने में लगे हुए हैं। वैज्ञानिक रूचि लेकर जन सेवा की भावना से अपना कार्य कर रहे हैं। डॉ. विवेक जोशी सोमवार को एचएयू में सेंटर फार माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड प्रयोगशाला व डॉ. मंगल सैन संग्रहालय के भ्रमण के दौरान बातचीत कर रहे थे। उन्होने कहा कि इस प्रयोगशाला से किसानों को सीधे रूप से फायदा होगा, जहां से तैयार किए पौधे हरियाणा ही नहीं अपितु उत्तर भारत के किसानों को उपलब्ध करवाएं जा सकेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे किसानों के हित में शोध कर कृषि क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. मंगल सैन संग्रहालय में आगंतुकों को एक ही छत के नीचे विश्वविद्यालय की विशिष्ठ उपलब्धियों, कृषि व कृषक हितैषी कार्यों के साथ-साथ हरियाणा की गौरवमयी संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी मिल सकेगी। वर्तमान व भावी पीढ़ी भी इस संग्रहालय का भ्रमण करके कृषि व कृषि की विकास यात्रा के बारे में ज्ञान हासिल कर सकेंगी।कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि सेंटर फार माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड प्रयोगशाला में टिशू कल्चर विधि से विभिन्न पौधे तैयार करने की विधियां विकसित की गई है, जहां लगभग 20 लाख उच्च गुणवत्ता, बीमारी रहित एवं आनुवांशिक रूप से एक जैसे पौधे प्रति वर्ष तैयार किए जा सकेंगे। उन्होंनेे बताया कि इस प्रयोगशाला में गन्ना, केला, ब्रह्मी, एलोविरा, औषधीय पौधे एवं अन्य कृषि उपयोगी पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा। यह प्रयोगशाला 2.5 एकड़ में फैली हुई है, जो कि तीन भागों में विभाजित है। पहला भाग प्रयोगशाला है, जोकि 6500 स्कवेयर फीट में स्थापित है, जिसमें पौधे परखनलियों में प्रयोगशाला में नियंत्रित तापमान एवं प्रकाश के अंदर विकसित किए जाते हैं। दूसरा भाग ग्रीन हाउस है, जो कि 1041 स्कवेयर फीट में बना हुआ है। जहां पर पौधों को नियंत्रित तापमान एवं आर्द्रता में विकसित किया जाता है। इस ग्रीन हाउस में टिशू कल्चर विधि का इस्तेमाल कर पांच लाख पौध को रखने की क्षमता होगी। उन्होंने बताया कि तीसरा भाग नेट हाउस है, जो कि एक एकड़ में बना हुआ है, जिसमें पौधों को रखकर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होने बताया कि डॉ मंगल सैन संग्रहालय के प्रारम्भ में ही हरियाणा की गौरवपूर्ण विकास यात्रा के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, जनसांख्किीय आंकड़ों को दर्शाए जाने के साथ आगंतुकों, विशेषकर स्कूली बच्चों को कृषि के बारे में जागरूक करने के लिए कृषि विकास यात्रा को त्री-आयामी भित्ती-चित्रों द्वारा दर्शाया गया है जिनकी विस्तृत व्याख्या के लिए टच-स्क्रीन कियोस्क लगाए गए हैं।

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